किन राशियों के लिए साढ़े साती वरदान होगी
मार्च 2025 तक शनि का गोचर अपनी स्वयं की राशि कुंभ में रहेगा। इसके बाद 29 मार्च 2025 को रात्रि 10 बजे शनि अपनी राशि छोड़ कर बृहस्पति की राशि मीन में प्रवेश करेंगे। शनि चूंकि बड़ा ग्रह है इसलिए तीन माह पहले से ही शनि मीन राशि का परिणाम देना आरम्भ कर देंगे। इस प्रकार से कहा जा सकता है कि कुंभ, मीन और मेष राशि वाले शनि की साढ़े साती में रहेंगे। मेष राशि वालों के लिए साढ़ेसाती की शुरूआत होगी। मीन राशि वालों के लिए इनकी साढ़ेसाती पेट पर रहेगी और कुंभ राशि वालों के लिए यह पैरों पर रहेगी। चूंकि शनि का पैरों पर अधिकार सिद्ध है इसलिए कहा जा सकता है कुंभ राशि वालों को 2025 का साल विशेष लाभदायी रह सकता है। इस वर्ष बहुत संभावना है कि कुभ राशि वालों को कोई स्थाई संपत्ति अर्थात जमीन-जायदाद की प्राप्ति हो।
क्या होती है साढ़ेसाती
महर्षि पाराशर ने विंशोत्तरी दशा चक्र को 120 वर्षों में विभक्त किया है। लेकिन गणना कुछ इस प्रकार से की जाती है कि यह जरूरी नहीं कि सभी नौ ग्रहों की महादशाएं आपके जीवन में आ ही जाए। क्योंकि सभी नव ग्रहों की दशा को भोगने के लिए 120 वर्ष जीवित रहना जरूरी है, जो कि आमतौर पर संभव नहीं है। कुछ लोगों के जीवन में शनि की विंशोत्तरी महादशा नहीं आती है जिसके कारण उनके जीवन में शनि की भूमिका को गोचर की साढ़ेसाती से देखा जाता है। इसके अलावा बहुत से लोगों के पास अपने जन्म संबंधी आकड़े उपलब्ध नहीं होते हैं इसलिए उन्हें भी अपना भविष्य देखने के लिए गोचर के ग्रहों पर ही निर्भर रहना होता है। लेकिन हमारे लिए पहले यह जान लेना महत्वपूर्ण है कि वास्तव में साढ़ेसाती होती क्या है। जैसा कि पाठकों को विदित होगा कि उदय लग्न की तरह ही भारतीय ज्योतिष में चन्द्रमा जिस राशि में पड़ा हो उसे भी लग्न की संज्ञा दी जाती है। इस प्रकार से आप कह सकते हैं कि चन्द्र लग्न भी उदय लग्न की ही तरह महत्वपूर्ण है। जब गोचर का शनि, चन्द्रमा को प्रभावित करे तो उसे साढ़ेसाती कहा जाता है। दूसरे सरल शब्दों में आप इस बात को इस तरह से भी समझ सकते हैं कि जब गोचर में शनि, चन्द्रमा से द्वादश, चन्द्रमा के साथ या चन्द्रमा की राशि से द्वितीय होता है तो वह चन्द्रमा को पूरी तरह से प्रभावित करता है। और इस काल खण्ड को साढेसाती कहते हैं। साढेसाती इसलिए कहा जाता है, क्योंकि शनि एक राशि में 30 माह रहते हुए तीन राशियों में 90 माह रहते हैं। 90 माह अर्थात 7 वर्ष 6 मास, यानी साढ़े सात वर्ष। इस प्रकार साढ़े सात वर्ष का अपभ्रंश रूप ही साढ़ेसाती है।
साढ़ेसाती में क्या परिणाम होते हैं
साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति बेकार में घूमता रहता है। उसकी नौकरी छूट जाती है या फिर बिजनेस बंद हो जाता है या बहुत मंदा चलता है। साढ़ेसाती के दौरान मित्र और रिश्तेदार भी शत्रु जैसा व्यवहार करते हैं और दूरी बना लेते हैं। जो भी काम किया जाता है उसमें नुकसान होता है। बहुत कोशिशों के बाद भी व्यक्ति अपना वादा पूरा नहीं कर पाता है। जिसके कारण समाज में प्रतिष्ठा नष्ट हो जाती है। अनावश्यक यात्राएं होती हैं जिसके कारण खर्च बढ़ जाते हैं लेकिन यात्रा से पर्याप्त लाभ नहीं हो पाता है। यह अलग बात है कि जन्मकालीन ग्रहों के शुभाशुभ प्रभावों के कारण साढ़े साती का प्रभाव कुछ कम या ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा गोचर में दूसरे ग्रहों को भी देखा जाता है इसलिए यह जरूरी नहीं है कि केवल साढ़े साती का प्रभाव ही दिखाई दे। बृहस्पति और राहु जैसे दूसरे बड़े ग्रह भी गोचर में हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।
साल 2025 बारह राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव
मैं पाठकों के हितार्थ वर्ष 2025 के शनि का सभी बारह राशियों के गोचर का फल कथन दे रहा हूं। यहां ध्यान रखने वाली बात है कि यह गोचर फल कथन संकेत भर है, क्योंकि ज्योतिष केवल शनि पर ही आश्रित नहीं है। बाकी के आठ ग्रह और भी हैं। और कमोबेश सभी अपना-अपना प्रभाव रखते हैं। गोचर के अलावा जन्मकालीन विंशोत्तरी दशा और जन्मकालीन ग्रहों का भी अपना महत्त्व है। इसलिए यह गोचर का फल कथन केवल शनि की स्थिति के अनुसार ही घटित नहीं होता है। इसके लिए दूसरे भी कारक हैं। वास्तव में तो जन्म कुंडली के साथ हस्तरेखाओं को भी देखना चाहिए जिससे कि फलकथन में सटीकता आ सके।
वर्ष 2025 राशियों पर शनि के गोचर का फल कथन
मेष – मीन राशि मे शनि के जाने से आपकी राशि के लिए शनि की साढ़ेसाती का पहला दौर शुरू होगा। सामान्यतयाः साढ़ेसाती की शुरूआत हमेशा खराब रह सकती है। इसलिए 2025 में आपको अपनी योजनाओं को एक बार स्थगित कर देना चाहिए। अन्यथा नुकसान की आशंका हो सकती है। शनि अपनी दशा के आरम्भ में बहुत ज्यादा नकारात्मक प्रभावी दे सकता है। इसके नकारात्मक प्रभाव के कारण नौकरी के छूट जाने, काम-धंधे के बन्द हो जाने और मान-सम्मान में कमी जैसे उपद्रव होते हैं। व्यक्ति गलियों में इधर-उधर भटक कर अपना समय पास करता है। मित्र और सम्बन्धी शत्रुवत् व्यवहार करते हैं। जीवन में निराशा भर जाती है। पिता को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हो सकती है। यदि पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगे तो शनि के तान्त्रिक मंत्र की एक माला प्रतिदिन जपें। तत्काल राहत मिल सकेगी।
क्या उपाय करें – शनि के बीज मंत्रों का छोटा सा अनुष्ठान संपन्न कराना चाहिए। जिसमें शनि के 23000 बीज मंत्रों का जाप, दशांश हवन, शनि की पूजा और अंत में शनि के दान होते हैं। यदि कोई यह अनुष्ठान नहीं करवा सकता है तो कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखते हुए शनि के बीज मंत्रों का रात्रि में नियमित जाप करने से भी लाभ मिलता है। यदि यह भी नहीं कर सके तो शनिवार को तेल और काले तिल का दान करने से भी कुछ हद तक शनि की शान्ति होती है।
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वृषभ राशि – किसी भी राशि के लिए ग्यारहवें स्थान का शनि बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। वैसे भी किसी भी पाप ग्रह की एकादश भाव में स्थिति शुभ ही होती है। जो लोग नौकरीपेशा हैं उन्हें अपने उच्चाधिकारियों का वरदहस्त प्राप्त होगा। जो लोग शेयर बाजार में काम कर रहे हैं उनको अपना विनियोजन दीर्घ अवधि के लिए करना चाहिए। इससे उनको आशातीत लाभ मिलने की संभावना रहेगी। यह जातक की स्थायी सम्पत्तियों में वृद्धि करता है। जो लोग व्यापारी हैं उन्हें नये अनुबन्ध प्राप्त होंगे। जिससे उनको दीर्घकाल तक लाभ होता रहेगा। उद्योगपतियों के लिए यह वर्ष उनके उद्योग जगत में प्रतिष्ठा और पद दिलायेगा। जो लोग राजनीति या सार्वजनिक जीवन में हैं वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहेंगे।
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मिथुन राशि – आपकी राशि से शनि महाराज वर्ष भर दसवें स्थान पर बने रहेंगे। हालांकि दसवें भाव का शनि व्यवसाय में कुछ उलझने अवश्य पैदा करता है लेकिन इसका अन्तिम परिणाम बहुत बुरा न होकर शुभ होता है। इसलिए धैर्य बनाएं रखें। पुराने मामलों के सुलझने और व्यापार में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए अच्छा समय है। हालांकि इस अवधि में माता के सुख में प्रायः कमी देखी जाती है। इसके अलावा जो लोग मजदूर वर्ग से हैं उनको भी कुछ परेशानी हो सकती है। लेकिन इन सब के बावजूद व्यापारी वर्ग के लिए व्यापार में विस्तार और उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। जो लोग प्रौढ़ावस्था से बाद की आयु वर्ग के हैं उनको लम्बी यात्राओं से बच कर रहना चाहिए। यात्रा में कष्ट होने की शंका बनी रहेगी।
क्या उपाय करें – भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर में पूजा करनी चाहिए।
कर्क राशि – आपकी राशि से शनि वर्ष भर नवें स्थान पर रहेगा। हालांकि प्राचीन मान्यताओं के अनुसार तो तीसरे, छठे और ग्यारहवें शनि के अलावा बाकी के सभी स्थानों के शनि को अनिष्टकारी ही बताया गया है। लेकिन मेरा निजी मत है कि नवें स्थान का शनि बहुत अधिक खराब परिणाम नहीं देता है। इसकी एक वजह भी है कि इससे ठीक पूर्व शनि कर्क राशि से आठवां रहता है। आठवां अर्थात अशुभ ढैया। और एक साधारण से ज्योतिष नियम के अनुसार एक बुरी और अशुभ स्थिति के बाद एक अच्छी और शुभ स्थिति का निर्माण होता है। इसलिए मैं कर्क राशि के लिए शनि के नवें गोचर को शुभ फलदायी ही मानता हूं। यदि दूसरे गोचर ग्रह भी अनुकूल हों तो वर्ष 2025 में आपको निश्चित रूप से स्थाई संपत्ति की प्राप्ति होगी। विदेश या देश में लम्बी यात्रा हो सकती है। खासतौर पर समुद्र या नदी के किनारे स्थित किसी स्थान की यात्रा सम्भावित है। बड़े भाई या बहिन के लिए यह समय प्रतिकूल रहेगा। इनको स्वास्थ्य सम्बन्धी किसी परेशानी से झूझना पड़ सकता है।
क्या उपाय करें – प्रत्येक शनिवार को रात्रि में श्री हनुमानजी के मंदिर में बूंदी का भोग लगाएं।
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सिंह राशि – शनि महाराज साढ़ेसाती में तो सायद कुछ दया दिखा दें, लेकिन आठवें शनि का ढैया हो तो इससे राम ही बचाए। वैसे भी सूर्य और शनि का तो सांप नेवले का बैर है। जो लोग सरकारी नौकरी में हैं उनकी पदोन्नत्ति रूक सकती है। अनचाहे स्थान पर स्थानान्तरण हो सकता है। व्यापारी वर्ग के व्यवसाय में मंदी रहने की शंका बनी रहेगी। यदि व्यवसाय की बढ़ोत्तरी के लिए उधार माल बेचने का प्रयास किया गया तो उधारी के डूब जाने का भय बना रहेगा। सिंह राशि के जो जातक निजी तौर पर अस्थायी नौकरी करते हैं उनकी रक्षा भगवान ही करेंगे। नौकरी के छूटने का भय बना रहेगा। समाज के धनी और प्रतिष्ठित लोग दूरी बनाने का प्रयास करेंगे। जो लोग पहले से ही आर्थिक रूप से पीड़ित हैं उनको केस-मुकद्दमों या लड़ाई-झगड़ों का सामना करना पड़ सकता है। शनि शान्ति के उपाय करने से राहत मिल सकेगी।
क्या उपाय करें – शनि के बीज मंत्रों का छोटा सा अनुष्ठान संपन्न करवाना चाहिए। जिसमें शनि के 23000 बीज मंत्रों का जाप, दशांश हवन, शनि की पूजा और अंत में शनि के दान होते हैं। यदि कोई यह अनुष्ठान नहीं करवा सकता है तो कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखते हुए शनि के बीज मंत्रों का रात्रि में नियमित जाप करने से भी लाभ मिलता है। यदि यह भी नहीं कर सकें तो शनिवार को तेल और काले तिल का दान करने से भी कुछ हद तक शनि की शान्ति होती है।
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कन्या राशि – आपकी राशि से शनि जीवन साथी और दैनिक रोजगार के भाव पर रहेगा। सातवें स्थान पर गोचरवश शनि के आने से जो लोग विवाहित हैं, उनके जीवन में परस्पर कलह और कहासुनी का वातावरण रह सकता है। अविवाहित लोगों को सगाई-सम्बन्धों में बाधा का सामना करना होगा। कार्यों में अचानक रुकावट और विलम्ब होने की आशंका रहेगी। ससुराल पक्ष से बुरे समाचार प्राप्त होंगे। जो लोग प्रतिदिन की आमदनी पर निर्भर हैं उनको धन की कठिनाई का अनुभव होगा। यदि विंशोत्तरी दशा भी प्रतिकूल हो तो जातक को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी होगी। नाभि के नीचे के अंगों में किसी रोग के उभर जाने का भय रहेगा।
क्या उपाय करें – शनि के बीज मंत्रों का छोटा सा अनुष्ठान संपन्न करवाना चाहिए। जिसमें शनि के 23000 बीज मंत्रों का जाप, दशांश हवन, शनि की पूजा और अंत में शनि के दान होते हैं। यदि कोई यह अनुष्ठान नहीं करवा सकता है तो कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखते हुए शनि के बीज मंत्रों का रात्रि में नियमित जाप करने से भी लाभ मिलता है। यदि यह भी नहीं कर सकें तो शनिवार को तेल और काले तिल का दान करने से भी कुछ हद तक शनि की शान्ति होती है।
तुला राशि – इस राशि के जातक मृदु स्वभाव के होते हैं। और बहुत न्यायप्रिय भी। इसलिए इस राशि में जाकर शनि उच्च राशि के हो जाते हैं। क्योंकि कि शनि को भी न्याय बहुत पसंद है। अतः इनको गोचर के शुभाशुभ फल अधिक गंभीर और शीघ्रता से परिणाम देने वाले होंगे। तुला राशि से वर्ष 2025 में शनि छठे स्थान पर होगा। आमतौर पर छट्ठा शनि शुभ फलदायी कहा गया है। तुला राशि के जातकों को 2025 में कोई स्थाई सम्पत्ति की प्राप्ति की आशा रहेगी। नौकरी में उन्नत्ति होगी। जो लोग व्यवसायी हैं उनको स्थाई और लम्बे अनुभव प्राप्त होंगे। मजदूर वर्ग से लाभ होगा। व्यापार वृद्धि के लिए धन की सहज प्राप्ति हो सकेगी। यदि कोई कोर्ट केस चल रहा है तो उसमें आपका पक्ष मजबूत रहने की आशा रहेगी। कर्मचारी वर्ग को इच्छित स्थान की प्राप्ति होगी और अधिकारी वर्ग का वरदहस्त प्राप्त होता रहेगा। घर में कोई मांगलिक कार्य सम्पन्न होने की संभावना बनी है।
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वृश्चिक राशि – दक्षिण भारत में जन्म राशि से पांचवें शनि को सबसे खराब माना जाता है। वैसे भी वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है जो कि शनि का शत्रु ग्रह है। वृश्चिक राशि के लिए वर्ष 2025 में शनि पांचवें स्थान पर रहेगा। मेेरे निजी अनुभव में आया है कि पांचवा शनि तुलनात्मक रूप से ज्यादा खराब नहीं होता है। एक बुरे ढ़ैये के बाद पांचवा शनि आता है। प्रायः देखा जाता है कि पांचवें शनि में जातक किसी नये कार्य की शुरुआत करता है। हालांकि सन्तान से मतभेद जैसी कुछ नकारात्मक बातें आ सकती हैं। फिर भी मोटे तौर पर पांचवां शनि जीवन में उन्नत्ति और प्रगति का कोई नया मार्ग अवश्य प्रशस्त करता है। इसलिए कुछ बाधा के साथ ही कार्यों की शुरूआत होती है, तथापि अन्ततः स्थितियां सकारात्मक परिणाम ही देंगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
क्या उपाय करें – यदि संतान को लेकर समस्या बढ़ती दिखाई दे तो शनि के बीज मंत्रों का छोटा सा अनुष्ठान संपन्न करवाना चाहिए। जिसमें शनि के 23000 बीज मंत्रों का जाप, दशांश हवन, शनि की पूजा और अंत में शनि के दान होते हैं।
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धनु राशि – आपके लिए वर्ष 2025 में भी शनि के चौथे ढैये का प्रभाव बना रहेगा। हालांकि वर्ष के अन्त तक शनि के प्रभावों में कुछ कमी देखने में आ सकती है। अतः आपको ढैये की मार से वर्ष 2025 के अंत तक कुछ राहत मिल सकेगी। वर्ष की शुरुआत अच्छी नहीं होगी। वाहन आदि से शारीरिक और आर्थिक नुकसान की शंका है। माता का स्वास्थ्य वर्ष भर चिन्ता का कारण बना रहेगा। विद्यार्थी वर्ग को सफलता में शंका रहेगी। प्रतियोगी परीक्षाओं में मेहनत के अनुसार परिणाम नहीं मिल पायेंगे। मान-प्रतिष्ठा की छति होगी। धन के लिए इधर-उधर हाथ पैर मारने होंगे। होते कार्य अचानक रुक जायंेगे। यदि स्थिति बहुत ज्यादा कष्टकारी बनती दिखाई दे तो तुरन्त शनिवार को शनि देव के तान्त्रिक मंत्र का जाप करें और छाया दान दें। इससे कुछ हद तक स्थिति नियन्त्रण में रहेगी।
क्या उपाय करें – शनि के बीज मंत्रों का छोटा सा अनुष्ठान संपन्न करवाना चाहिए। जिसमें शनि के 23000 बीज मंत्रों का जाप, दशांश हवन, शनि की पूजा और अंत में शनि के दान होते हैं। यदि यह नहीं कर सकते हैं तो स्वयं भी शनि के बीज मंत्रों को जाप कर सकते हैं इससे भी राहत का अनुभव होगा।
मकर राशि – पाप ग्रहों के लिए तीसरा स्थान सबसे श्रेष्ठ कहा गया है। मकर राशि के लिए समस्त वर्ष शनि तीसरा ही रहेगा। जातक के पराक्रम में वृद्धि होगी। सोचे गये कार्य पूर्ण हो सकेंगे। स्थाई सम्पत्ति में वृद्धि होगी। धन-धान्य की सहज प्राप्ति हो सकेगी। अपने से निम्न वर्ग के लोगों से अचानक धन लाभ हो सकेगा। जो लोग विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं उनके लिए यह वर्ष बहुत अच्छा है। नौकरी पेशा लोगों की इच्छित स्थान पर स्थानांतरण हो सकेगा। उद्योगपतियों के लिए भी यह वर्ष बेहतर रहेगा। जो लोग अभी तक अविवाहित हैं उनके लिए सगाई-सम्बन्धों के शुभ समाचार प्राप्त होंगे। शनि के अनुकूल होने से तुला राशि के जातकों को कुछ पुराने रोगों से भी छुटकारा मिलने की संभावना भी बनेगी।
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कुंभ राशि – आपके लिए यह वर्ष साढ़ेसाती के अंतिम दौर का पहला वर्ष है। वर्ष 2025 की शुरूआत से ही आपको के प्रभावों के बारे में अंदाजा होने लगेगा। आपको लगेगा जैसे अच्छे दिन आ रहे हैं। मेरा निजी तौर पर समझना है कि शनि मंद ग्रह है और एक राशि में तीस माह तक रहता है अतः यह अपनी राशि परिवर्तन के पांच-छः माह पूर्व ही अगली राशि के परिणाम देना आरम्भ कर देता है। इस सिद्धांत के आधार पर हम कह सकते हैं कि कुंभ राशि के जातकों को वर्ष 2025 के अंतिम महीनों से बहुत अच्छा समय शुरू हो सकता है। हालांकि वर्ष की शुरूआत में तनिक परेशानी दिखाई दे सकती है। विरोधी आपके विरूद्ध षड़यंत्र की रचना कर सकते हैं। आपके कमजोर पक्ष को जग-जाहिर करके नुकसान करने का प्रयास करेंगे। लेकिन यह सब अस्थायी होगा। इसलिए चिंता मत करें। इन सब के बावजूद इस वर्ष आपको किसी स्थायी संपत्ति की प्राप्ति हो सकती है। बिजनेस में आप स्थापित हो सकते हैं।
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मीन राशि – आपकी राशि पर शनि होने से आलस्य बढ़ सकता है। और यह भी संभव है कि इस आलस्य और लेटलतीफी के कारण आपको कोई बड़ा नुकसान भी हो सकता है। आपकी राशि से शनि का मध्य दौर है, जो कि पूरे वर्ष रहेगा। अक्सर देखा जाता है कि साढ़ेसाती की शुरूआत कुछ अधिक कष्टदायी होती है। परन्तु जैसे-जैसे शनि अपनी अगली राशि में अग्रसर होते हैं वैसे-वैसे शनि की साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव भी कम होने लगता है। राशि पर आया हुआ शनि हमेशा व्यक्ति को बौद्धिक दृष्टि से स्थूल और निष्क्रिय बनाता है। जीवन में आलस्य बना रहता है। कार्यों की गति प्रायः अस्थिर या मंद हो जाती है। नये कार्यों के आरम्भ होने में कठिनाई आती है। छोटे भाइयों को कष्ट होता है। दाम्पत्य जीवन में मधुरता का अभाव और तनाव रहता है। यदि जन्मकालीन ग्रह अनुकूल न हों तो स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी हो सकती है। स्वयं से निम्न श्रेणी के लोगों से सम्पर्कों में वृद्धि होती है।
क्या उपाय करें – आलस्य का त्याग करें। और हमेशा सक्रिय बने रहें। इससे खराब शनि के प्रभाव स्वतः ही कम हो जायेंगे।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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