हिन्दू धर्म नदियों को माता और देवी का स्वरूप माना जाता है। नदियों की लोग सदियों से पूजा करते आ रहे हैं। लेकिन एक नदी ऐसी भी है जिसे माता सीता के श्राप और क्रोध का सामना करना पड़ा
माता सीता ने जिस नदी को श्राप दिया वह आज तक पूजी नहीं जाती है और उसका पानी भी सूखा रहता है। वह नदी है फल्गु नदी। आइए जानते हैं कि माता सीता ने आखिर क्यों दिया था फल्गु नदी श्राप
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कथा के अनुसार एक बार वनवास के दौरान सीता जी गया में राम, लक्ष्मण जी के साथ पिता राजा दशरथ का श्राद्ध करने गई थीं। इसके बाद श्रीराम और लक्ष्मण जी पिता दशरथ के श्राद्ध की सामग्री जुटाने में लग गए
श्रीराम और लक्ष्मण जी को आने में काफी देर हो गई जिसके बाद वी सीता ने राजा दशरथ जी का श्राद्ध कर्म पूरा कर दिया। माता सीता ने पिंड को फल्गु नदी की रेत से बनाया और पिता दशरथ का पिंडदान किया
इस पिंडदान का साक्षी माता सीता ने वहां मौजूद फल्गु नदी, गाय, तुलसी, अक्षय वट और एक ब्राह्मण को बनाया
काफी देर बाद जब श्रीराम और लक्ष्मण जी वहां लौचे तो माता सीता ने उन्हें श्राद्ध की सारी बात बताई लेकिन राम को यकीन नहीं हुआ
इसके बाद माता सीता ने समस्त साक्षी गण इसके बारे में पूछा लेकिन वटवृक्ष को छोटकर समस्त साक्षी गणों ने श्रीराम और लक्ष्मण के क्रोध के भय से झूठ बोला
जिससे माता सीता क्रोधित हो गईं और उन्होंने फल्गु नदी को श्राप दिया कि वह सदा सूखी रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने सच बोलने वाले वटवृक्ष को लंबी आयु और सदा पूजनीय होने का वरदान भी दिया
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