क्या आपके हाथों में है करोड़पति होने का योग! - Punjab Kesari
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क्या आपके हाथों में है करोड़पति होने का योग!

बिजनेस का मूल उद्देश्य लक्ष्मी प्राप्ति है। हमारे शास्त्रों में लिखा है कि ‘‘व्यापारे वस्ति लक्ष्मी।’’ इसका अर्थ है कि व्यापार से ही धन की उत्पत्ति होती है। इसलिए संसार में जितने भी करोड़पति-अरबपति हुए हैं, उन्होंने हमेशा बिजनेस को ही महत्व दिया है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि सभी बिजनेस से करोड़पति बन सके। बिजनेस तो सभी करते हैं लेकिन करोड़पति तो बहुत कम लोग हो पाते हैं। इसका कारण यह है कि कोई भी बिजनेस बूम तभी करेगा जब कि उसके मालिक का भाग्य साथ देगा। यदि आपके हाथों में या जन्म कुंडली में सफलता का योग नहीं है तो बहुत परिश्रम के बाद भी आप करोड़पति नहीं बन पायेंगे। जब आपको यह अदांजा हो कि आपकी हाथों की रेखाओं में करोड़पति योग बना हुआ है तो आपके लिए राहे काफी कुछ आसान हो जाती हैं। आप बिजनेस को ज्यादा तेज गति से बढ़ा सकते हैं। आपका कॉन्फिडेन्स सातवें आसमान तक पहुंच जाता हैं। इसलिए आज मैं आपको बताउंगा कि क्या आपकी हाथों की रेखाओं में करोड़पति होना लिखा है या नहीं लिखा है।

भाग्यशाली होने या न होने की पहचान करना बहुत कठिन 
जन्म कुंडली के आधार पर किसी के भाग्यशाली होने या न होने की पहचान करना बहुत कठिन है। जबकि हस्तरेखाओं से यह निर्णय करना कुछ आसान होता है। हस्तरेखाओं में शोध के दौरान मैंने जो निष्कर्ष प्राप्त किए, उनके आधार पर मैं कुछ तथ्य गुणी और प्रबुद्ध पाठकों के हितार्थ यहां लिख रहा हूँ। यह बहुत आसान है आप स्वयं अपनी हथेली से इस बात को अंदाजा लगा सकते हैं कि वास्तव में आप करोड़पति कब तक हो जायेंगे।

ये हैं करोड़पति होने के योग
– आमतौर पर समचौरस हथेली धन के मामले में बहुत सकारात्मक होती है। लम्बी हथेली तभी अच्छा फल प्रदान करती है जबकि उसके ग्रह बहुत उम्दा हों।
– सूर्य, बृहस्पति, शनि और बुध पर्वत पर्याप्त उठे हुए हों। शुक्र और चन्द्रमा सामान्य स्थिति में हों अर्थात उपर्युक्त ग्रहों की तुलना में कुछ कम विकसित हों।
– प्रमुख तीन रेखाएँ जीवन, हृदय और मस्तिष्क पूर्ण और पतली हों।
– हथेली में मणिबन्ध से अगुंलियों की तरफ उठने वाली रेखाएँ अधिक हों।
– सभी दस अंगुलियों के नाखूनों पर श्वेत अर्धचंद्र हों।
– अंगुलियों के नखपर्व पतले हों।
– सूर्य रेखा कितनी भी छोटी या फिर बड़ी हो लेकिन वह कटी हुई या खण्डित नहीं हो।
– बुध की रेखा क्लीयर और पूरी लम्बी हो।
– हथेली करपृष्ठ की तरफ घूम रही हो।
– हथेली में कहीं पर भी शंख या मछली का स्पष्ट चिह्न बना हुआ हो।
– चारों मणिबंध बहुत स्पष्ट और यवों से युक्त हों।

ज्योतिर्विद् सत्यनारायण जांगिड़।
Email – astrojangid@gmail.com

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