Astrology: कुंडली के पांच ग्रह योग, जो आपको बना देंगे करोड़पति - Punjab Kesari
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Astrology: कुंडली के पांच ग्रह योग, जो आपको बना देंगे करोड़पति

ज्योतिष के पांच प्रमुख योग जो बना सकते हैं करोड़पति

जन्म कुंडली में विशिष्ट ग्रह योग जातक को करोड़पति बना सकते हैं। चन्द्रमा से केन्द्र में शुक्र या बृहस्पति, दशम में अकेला बलवान मंगल, लग्न में बलवान सूर्य, बृहस्पति का चन्द्र और लग्न से केन्द्र में होना और नवम-दशम का कॉम्बिनेशन ये पांच प्रमुख योग हैं। इन योगों के प्रभाव से जातक प्रभावशाली और धनी बनता है।

किसी भी जातक की जन्म कुंडली में उसके पूर्व जन्म के पाप और पुण्यों का लेखा-जोखा होता है। इन्हीं पाप-पुण्य के आधार पर जन्मांग चक्र में ग्रहों और राशियों का योग बनता है। ग्रहों के आधार पर बताया जा सकता है कि हमने पूर्व जन्म के क्या कुछ किया था। हमारे इन्हीं कर्मों के प्रतिफल के रूप में हमें इस जन्म में शुभाशुभ फल प्राप्त होते हैं। जिस जातक के पूर्व जन्म के पुण्य अधिक है, उसका जन्म किसी करोड़पति के घर में होता है या फिर वह अपने पुरूषार्थ से जीवन में करोड़पति बनता है। और जिसने पूर्व जन्म में पाप संचय किये हैं वह इस जन्म में जीवन भर संघर्ष करता है। दोनों ही स्थितियां समान है लेकिन दोनों में ग्रह योगों का अंतर होता है।

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करोड़पति बनाने वाले पांच योग
वैसे तो जन्म कुंडली में हजारों योग होते हैं जिनका विश्लेषण कर पाना संभव नहीं होता है। लेकिन कुछ योग बहुत स्पष्ट और प्रभावी होते हैं जिनको समझना आसान भी होता है और ये योग प्रायः सटीक भी होते हैं। मैं यहां इन्हीं योगों में से पांच योगों के बारे में बता रहा हूं जो कि जातक को प्रभावशाली और धनी बनाते हैं। ये योग जितनी मात्रा में अधिकाधिक होंगे उतना ही शुभ फल देंगे।

1. चन्द्रमा से केन्द्र में शुक्र या बृहस्पति या दोनों हों
चन्द्र राशि को दूसरे लग्न की संज्ञा प्राप्त है। इसलिए लग्न कुंडली के साथ चन्द्र कुंडली बनाने की परम्परा है। जब किसी की जन्म कुंडली में पक्षबली चन्द्रमा से केन्द्र अर्थात् चन्द्रमा के साथ, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, दशम या द्वादश भाव में बृहस्पति हो या फिर शुक्र हो या फिर दोनों हों तो ऐसा जातक जीवन में करोड़पति जरूर बनता है। यदि दूसरे ग्रह योग भी अच्छे हों तो समझे कि इस व्यक्ति का जन्म ही करोड़पति घर में हुआ है और यह अपने पूवर्जों की संपत्ति को बढ़ा कर कई गुणा कर देगा।

2.  जब दशम में अकेला बलवान मंगल हो
यह योग तब बनता है जब कि लग्न से दशम भाव में मंगल हो। यह योग कुलदीपक नाम से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यह योग कभी निष्फल नहीं होता है। लेकिन इसके साथ भी बहुत सी शर्तें जुड़ी हुई हैं। सामान्यतयाः मान्यता है कि यह योग तब पूरा फल देता है जब कि मंगल दशम में अकेला हो। इसके अलावा मंगल पाप प्रभावित नहीं हो और पाप ग्रहों से दृष्ट नहीं हो। अस्त, नीचगत, अंशबलहीन और शत्रु की राशि में स्थित मंगल होने पर इस योग का पूर्ण फल नहीं मिलता है। माना जाता है कि जब यह योग पूरी तरह से निर्दोष हो तो यह सात पीढ़ियों से चली आ रही गरीबी को धो देता है। ऐसा जातक भिखारी कुल में उत्पन्न होकर भी करोड़पति हो जाता है।

3.  सूर्य बलवान होकर लग्न में चला जाए
सूर्य आत्मकारक ग्रह होता है। सूर्य जब अंशबली होकर शुभ राशि में लग्न में चला जाए तो जातक की सरकार के खजाने में हिस्सेदारी होती है। ऐसा व्यक्ति उच्च पद प्राप्त करता है। राजनीति में सफलता मिलती है। यदि दूसरे ग्रह भी बलवान हो तो मंत्री पद प्राप्त करता है। विभिन्न योगों के प्रभाव के कारण ऐसा व्यक्ति बिजनेस या इण्डस्ट्रीज में भी सफल रहता है। प्रायः बिजनेस ब्रांड को लांच करता है। सूर्य किसी भी ग्रह के बिजनेस के ब्रांड का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए यदि आप कोई ब्रांड लांच करते हैं तो सर्वप्रथम जन्म कुंडली में सूर्य की स्थिति को देखें। यदि सूर्य कमजोर है तो पहले उसे ठीक करें उसके बाद ही ब्रांड को लांच करने के बारे में सोचें।  
 
4. बृहस्पति चन्द्रमा और लग्न दोनों से केन्द्र में हो
जब बृहस्पति बलवान होकर चन्द्र और उदय लग्न, दोनों ही लग्नों से केन्द्र में हो तो ऐसा जातक एक बहुत ही प्रभावशाली जीवन व्यतीत करता है। ऐसा व्यक्ति प्रसिद्ध सलाहकार होता है। खाने पीने की वस्तुओं में सफलता प्राप्त करता है। सरकार में उसकी ऊंची पहुंच होती है। नीचे कुल में जन्म लेने के बावजूद भी समाज में प्रतिष्ठा और बहुत धन अर्जित करता है। दान और पुण्य में विशेष रूचि होती है।  

5.  जब नवम और दशम का कॉम्बिनेशन हो
यह एक प्रसिद्ध राजयोग है। लेकिन इसमें राशियों का बहुत महत्व है, जैसा कि दूसरे योगों में भी होता है। ज्योतिष में किसी भी योग की पहचान कभी भी पहली दृष्टि से नहीं करनी चाहिए। उदाहरण के लिए दशमेश और नवमेश की युति को ही राजयोग नहीं समझ लेना चाहिए। बहुत सी कुंडलियों में यह योग मिल जायेगा। लेकिन केवल इस योग के आधार पर ही राजयोग की घोषणा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि किसी योग के पूर्ण रूप से फलित होने में बहुत से कारक काम करते हैं। यही बात इस राजयोग में भी है। नवमेश और दशमेश दोनों का कॉम्बिनेशन हो लेकिन यह शुभ राशि में हो और शुभ ग्रहों से दृष्ट हो और कोई पाप प्रभाव न हो, तभी इसे पूर्ण राजयोग कहना चाहिए। इस योग का व्यक्ति बिजनेस में बहुत अच्छी सफलता प्राप्त करता है। कई इंडस्ट्रीज का मालिक होता है। सफलता उसके कदम चूमती है। समाज और सरकार से सम्मानित होता है।

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