मनुष्य का जीवन परिवर्तनशील है। लेकिन कुछ लोगों को जीवन में भाग्य का साथ कभी नहीं मिलता है। ऐसे लोग किसी चमत्कार की आशा में जैसे-तैसे अपना जीवन बिताते हैं। अनेक तरह से प्रयास करते हैं, लेकिन जीवन में कभी सकारात्मक परिवर्तन नहीं होता है। वे संघर्ष में ही अपना जीवन व्यतीत करने को विवश होते हैं। वे नौकरी करते हैं लेकिन शीघ्र ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। ऐसे लोग यदि बिजनेस शुरू करें तो कुछ ही समय में बिजनेस में नुकसान होने के कारण बिजनेस को बंद करना पड़ता है। समाज और बाजार में गुडविल खत्म हो जाती है। इस स्थिति में यदि ये लोग फिर से उठ कर बिजनेस करना चाहें तो उन्हें कोई स्पोर्ट नहीं मिलता है।
क्या कहती है जन्म कुंडली?
यदि जन्म कुंडली के आधार पर बात की जाए तो जिन लोगों की जन्म कुंडली में चन्द्रमा पीड़ित हो, तो ऐसी स्थिति पैदा होती है। ऐसे लोग जीवन में एक बार दिवालिया जरूर होते हैं। ज्योतिष की भाषा में इसे केमद्रुम योग कहा जाता है। यदि किसी कुंडली में पूर्ण केमदु्रम योग हो तो जीवन में उन्नति में अनेक बाधाएं आती हैं। ऐसे लोगों के लिए साधारण सी सफलता भी दूर की कौड़ी हो जाती है। जीवन की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए रिश्तेदारों के रहम-ओ-करम पर निर्भर रहना पड़ता है। इस भूमिका के बाद प्रश्न यह उठता है कि इस स्थिति में क्या करना चाहिए।
क्या करना चाहिए?
ऐसी विकट स्थिति में एक मात्र आशा की किरण भगवान की साधना ही हो सकती है। यदि ईश्वर का आशीर्वाद किसी को मिल जाए तो कुछ ही वर्षों में फर्श से अर्श तक का सफर तय किया जा सकता है। इसके लिए सर्वप्रथम तो आपको यह पता होना चाहिए कि आपके परिवार में किस देवता या देवी की पूजा की जाती है। इसी देव या देवता की आराधना करने से समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। लेकिन कुछ लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है। उनके लिए मैं श्री हनुमानजी की पूजा और ध्यान की अनुशंसा करूंगा।
संकट मोचक हैं श्री हनुमान जी
ऐसे दुविधाग्रस्त लोगों के पास यह सुविधा नहीं होती है कि वे दीर्घ काल तक इंतजार कर सके। जब शीघ्रता से फल देने की बात की जाए तो भगवान शंकर और उनके अंशावतार श्री हनुमानजी ही सर्वप्रथम ध्यान में आते हैं। क्योंकि यह सर्वविदित है कि श्री हनुमान जी इस युग में सबसे अधिक शीघ्रता से फल देने वाले देवता हैं। वैसे तो ज्योतिष में मंगल ग्रह को श्री हनुमान जी से जोड़ा गया है, हालांकि श्री हनुमान जी सभी ग्रहों से जनित संकटों को हरने वाले हैं।
हनुमान उपासना की पहली शर्त है सात्विक जीवन शैली
जब सभी तरह से निराशा का वातावरण बनने लगे, तो श्री हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए। श्री हनुमान जी पूरी तरह से सात्विक देव हैं। इसलिए आपको सभी तरह की बुरी आदतों से पहले छुटकारा पाना होगा। जैसे यदि आप मद्यपान या मांस भक्षण करते हैं तो आपको श्री हनुमान जी की उपासना से कोई लाभ की आशा नहीं रखनी चाहिए। मैं ऐसे लोगों से कहूंगा कि वे हनुमान जी से दूर ही रहें तो बेहतर है। क्योंकि बुरी आदतों के साथ हनुमान उपासना का कोई सामंजस्य नहीं है। बल्कि इनमें आग और पानी जैसा बैर है। इसके अलावा झूठ बोलना और दूसरी शारीरिक अशुद्धियों से भी दूर रहना चाहिए। इस प्रकार से आप श्री हनुमान जी की कृपा शीघ्रता से प्राप्त कर सकते हैं।
श्री हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकता है चमत्कार
कलियुग में श्री हनुमान जी की उपासना से वह सब कुछ संभव है जो कि आपने सोचा भी नहीं होगा। जब आप समस्याओं के भंवर में आकंठ डूब चुके हैं तो सही अर्थों में आपको यदि कोई बाहर निकाल सकता है तो वह श्री हनुमान ही है। हालांकि खोटे ग्रहों के कारण कुछ हद तक समय अधिक लग सकता है तथापि परिणाम निश्चित मिलता है। वैसे तो शास्त्रों में श्री हनुमान जी के बहुत से तांत्रिक मंत्रों और अनुष्ठानों का वर्णन मिलता है, लेकिन एक गृहस्थ के लिए श्री तुलसीदास जी रचित, हनुमान चालीसा काफी हद तक प्रभावी है।
कैसे करें श्री हनुमान चालीसा का पाठ?
पूरे विश्व में श्री हनुमान चालीसा के असंख्य उच्चारण के कारण अब यह एक तरह से सिद्ध मंत्र की तरह बन गया है। वैसे तो आप हनुमान चालीसा का पाठ घर पर भी कर सकते हैं लेकिन इसका प्रभाव आपको जल्द चाहिए तो किसी हनुमान जी के मंदिर में प्रतिदिन या प्रत्येक मंगलवार-शनिवार को हनुमान जी को बूंदी का भोग लगाकर, हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलने का मार्ग प्रशस्त होता है।