वैदिक वास्तु बहुत ही परिपक्व और सिद्ध विद्या है। यदि हम अपने जीवन में वैदिक वास्तु का समुचित उपयोग करें तो निश्चित तौर पर समय के साथ हमें इसके चमत्कारी प्रभाव देखने में आ सकते हैं। जो लोग वास्तु को बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं उन्हें एक बार जरूर वैदिक वास्तु को आत्मसात करना चाहिए। इसके सिद्धांत हजारों वर्षों के अनुभव की कसौटी पर कसे गये हैं। इसलिए इस बारे में किसी शंका की संभावना नहीं है। आप जैसे ही वास्तु का अपने जीवन में उपयोग करना आरम्भ करते हैं वैसे ही आपके जीवन में बदलाव आना आरम्भ हो जाता है। जीवन अधिक सरल और सफल होता जाता है। आप चाहें तो इन वास्तु टिप्स के अनुसार अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सफल हो सकते हैं।
पंच तत्त्वों पर आधारित है वैदिक वास्तु
जल, वायु , आकाश, अग्नि और पृथ्वी इन पांच तत्त्वों पर वैदिक वास्तु के सिद्धांत काम करते हैं। या आप यह भी कह सकते हैं कि वास्तु पंच तत्त्वों पर आधारित है। यदि आप इन तत्त्वों को अपने-अपने स्थान पर स्थापित कर दें तो वह घर या कार्यस्थल पूर्ण क्षमता से उन्नति और समृद्धि देने लगता है। किसी भी परिसर में समस्या और गरीबी गलत वास्तु के कारण उत्पन्न होती हैं। हालांकि ज्यादा सोचने-विचारने की जरूरत नहीं है। आप को केवल वास्तु के साधारण से सिद्धांतों को लागू करने की जरूरत है। ऐसा करने के बाद लगभग छः माह के अन्तर्गत समस्याओं से मुक्ति मिलना आरंभ हो जाता है। कार्य सिद्ध होने लगते हैं। बिजनेस या सर्विस में आ रही समस्याएं कम होने लगती हैं। और खास बात यह है कि इसके लिए आपको विशेष कुछ करने की आवश्यकता भी नहीं है। बहुत छोटी-छोटी बातें है जिनको आपको ध्यान में रखना है।
अपने वास्तु शास्त्री आप खुद बने
वास्तु बहुत आसान विद्या है लेकिन उसके प्रभाव बहुत शीघ्रता से मिलते हैं। इसलिए मैं यह सलाह दूंगा कि सभी लोगों को इसका लाभ लेना चाहिए। खास बात यह है कि यह विद्या ज्योतिष और हस्त रेखाओं जैसी कलिष्ट नहीं है। इसके सिद्धांत बहुत ही आसान और जल्दी समझ में आने वाले हैं। खासतौर पर जब आप स्वयं के लिए इसे इम्प्लमेंट करते हैं तो यह सब करना बहुत आसान लगता है। इसलिए मैं कहूंगा कि आप स्वयं अपने लिए एक वास्तु शास्त्री की भूमिका में आ सकते हैं। बस आपको कुछ शुरुआती बातों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसलिए मैं अपने सम्मानित पाठकों को बताना चाहूंगा कि आपको किसी भी वास्तु शास्त्री से सम्पर्क करने की आवश्यकता नहीं है। मैं यहाँ कुछ अचूक सूत्र बता रहा हूँ जिनके आधार पर आप स्वयं निर्णय ले सकते हैं कि आपको क्या करना है। आपके घर में क्या दोष है या फिर किन बातों को आपको ध्यान में रखना है।
क्या करना चाहिए?
– हमेशा ध्यान में रखें कि अग्नि कोण के अलावा घर में कहीं आग नहीं जलनी चाहिए।
– ईशान कोण के अलावा किसी दूसरे स्थान पर भूमिगत जल (अंडर ग्राउंड वाटर टैंक) नहीं होना चाहिए।
– वायव्य से ईशान कोण और ईशान कोण से अग्नि कोण तक टायलेट, सीढ़ियाँ, कबाड़खाना, स्टोर या ऊँचा निर्माण नहीं होना चाहिए।
– घर में कोई भी रूम ऐसा नहीं होना चाहिए जिसमें दक्षिण और पश्चिम दोनों दिशाओं में द्वार हो। यदि ऐसा है तो इस रूम के एक दरवाजे को बंद कर देना चाहिए।
– काले रंग का फर्श और काले रंग की दीवारें नहीं होनी चाहिए।
– घर में ईशान कोण के अलावा कहीं भी तलघर (बेसमेंट) नहीं होना चाहिए।
– भूखंड किसी भी दिशा मुखी हो लेकिन कवर्ड एरिया से उत्तर या पूर्व दिशा में पैसेज जरूर होना चाहिए।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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