रक्षाबंधन: भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां पर लगभग प्रतिदिन कोई न कोई उत्सव का कारण मिल ही जाता है। इससे लोगों में परस्पर प्रेम और सौहार्द का वातावरण बना रहता है। और लोग धर्म में बंधे रह कर बुरे और अनैतिक कामों से बचे रहते हैं। होली और दीपावली के बाद खासतौर पर उत्तर भारत में रक्षाबंधन का त्योहार बहुत उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध कर उससे अपने मान-सम्मान की रक्षा का वचन लेती है। हालांकि यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि रक्षाबंधन का त्योहार कब से आरम्भ हुआ। आमतौर पर रक्षाबंधन का त्योहार हिन्दू और जैन धर्म में विशेष तौर पर मनाया जाता है।
कब मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्योहार?
रक्षा बंधन का त्योहार प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों को रक्षा धागा बांधती है। कुछ दशकों पहले तक रक्षा बंधन के लिए घर पर ही धागों से राखियों को बनाया जाता था। इसलिए हर घर में इस त्योहार की रौनक पूर्णिमा से कुछ दिन पूर्व ही शुरू हो जाती थी। लेकिन वर्तमान में काफी कुछ बदल चुका है, अब बाजार से ही राखियों की खरीद की जाती है। राखियां साधारण धागों से लेकर चांदी जैसी धातु से भी निर्मित की जाती है।
क्या है पौराणिक कथा?
हालांकि रक्षा बंधन के संदर्भ में बहुत सी कथाएं जुड़ी हुई हैं लेकिन राजा बली और भगवान श्रीविष्णु के वामन अवतार की कथा अधिक प्रचलन में है। श्रीमद्भागवत पुराण में यह कथा प्राप्त होती है। राजा बली बहुत शक्तिशाली था उसने सभी देवताओं को हरा कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। देवताओं के आग्रह पर भगवान ने वामन का अवतार धारण किया और राजा बली से दान मांगा। असुर राज राजा बली प्रसिद्ध दानवीर भी था। वह किसी याचक को खाली हाथ नहीं जाने देता था। मांगने से पहले भगवान ने उसे वचनों में बांध लिया कि जो भी वे मांगेंगे वह दिया जायेगा। वचन बंधन के बाद भगवान ने राजा बली से तीन पैर भूमि की मांग की। बली को यह साधारण सा दान प्रतीत हुआ लेकिन भगवान ने अपना आकार इतना बढ़ा लिया कि उनके दो पैर में ही सारी पृथ्वी आ गई। तब भगवान ने बली से कहा कि मैं तीसरा पैर कहां रखूं। राज बली ने कहा कि आप तीसरा पैर मेरे सिर पर रख लीजिए। उसके ऐसा कहने से भगवान श्री विष्णु प्रसन्न हुए और उसे वरदान मांगने का कहा। बली ने चालाकी दिखाते हुए भगवान का हमेशा अपने साथ रहने का वरदान मांग लिया। इसके परिणामस्वरूप भगवान वहीं रहने लगे। जब श्री लक्ष्मी का इसका ज्ञान हुआ तो उन्होंने राजा बली को रक्षा सूत्र बांध कर अपना भाई बनाया और शगुन के तौर पर भगवान को अपने साथ ले गईं। कहा जाता है कि यह दिन श्रावण पूर्णिमा का था। इसलिए तब से ही आज तक इस दिन को रक्षा बंधन के रूप में मनाने की परंपरा चल रही है।
कब है रक्षाबंधन का त्योहार?
जैसा कि मैं बता चुका हूं कि विक्रम संवत् की श्रावण पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा 19 अगस्त को है। इसी दिन श्रावण मास का अंतिम सोमवार भी है इसलिए इस दिन का महत्व द्विगुणित हो जाता है। पूर्णिमा तिथि सूर्योदय से लेकर रात्रि पर्यन्त रहेगी। इसलिए पूरा दिन ही रक्षा बंधन के लिए शुभ है लेकिन मान्यता है कि भद्रा में रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है। 19 अगस्त को सूर्योदय से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक विष्टि करण अर्थात् भद्रा रहेगी। इसलिए रक्षा बंधन का त्योहार 1 बजकर 30 मिनट के बाद मनाया जाना चाहिए।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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