देवउठनी एकादशी से लौट आयेगा शादियों मौसम - Punjab Kesari
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देवउठनी एकादशी से लौट आयेगा शादियों मौसम

23 नवंबर को देवउठनी एकादशी है जैसा कि विदित है कि गत 30 जून, 2023 को देवशयनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास की शुरूआती हुई थी। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीविष्णु निद्रा में चले गये। भगवान श्रीविष्णु जब निद्रा में होते हैं तब तक सभी सनातन धार्मिक कार्यक्रम निलम्बित रहते हैं। इसके आगामी कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तद्दुसार 23 नवंबर, 2023, गुरुवार को यह निद्रा पूर्ण करके श्रीविष्णु उठेंगे। आम बोलचाल की भाषा में इसे देव-उठनी एकादशी कहा जाता है। इसके साथ ही विवाहादि शुभ कार्यों की शुरूआत हो जाती है। शहनाइयों की मधुर ध्वनि सारे वातावरण को आलौकिक कर देगी। दूसरे मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। इस साल देवसयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक करीब 147 दिनों का अंतर रहा था। इस दीर्घ समायवधि में शुभ काम कमोबेश रूके रहे। विशेष तौर पर उत्तर भारत में देवउठनी एकादशी की विशेष मान्यता है। वैसे एक विक्रम संवत् वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं। अर्थात् हर महीने दो एकादशी आती है। एक कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी। लेकिन देवुत्थान एकादशी का अपना महत्व है।

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हमारे सनातन धर्म में देवउठनी एकादशी एक विशेष महत्व है। चूंकि इस दिन देवता जागृत होते हैं इसलिए यह दिन एक सर्वमान्य स्वयंसिद्ध मुहूर्त बन जाता है। जिसे शादी का सावा या मुहूर्त कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार इस विवाह के लिए किसी मुहूर्त आदि का विचार नहीं किया जाता है। दरअसल यह स्वयं में ही एक सिद्ध मुहूर्त है। यही कारण है कि इस दिन उत्तर भारत में शादियों की बहार आ जाती है। ज्योतिष के अनुसार एक विक्रम संवत् वर्ष में कुल साढ़े तीन स्वयं सिद्ध विवाह मुहूर्त होते हैं। जिसमें एक देवउठनी एकादशी भी है।
विवाह आदि जैसे मांगलिक कार्यक्रमों के अलावा इस दिन भगवान श्रीविष्णु की विशेष पूजा कर उन्हें नींद से जगाये जाने का शुभ कार्य भी होता है। इसके अलावा यही वह दिन है जिस दिन वर्ष का चातुर्मास का समापन होता है। हालांकि आम बोलचाल की भाषा में इसे देवउठनी एकादशी ही कहा जाता है वैसे इस एकादशी को प्रबोधनी एकादशी या देवुत्थान एकादशी भी कहा जाता है।

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