आईसीएमआर ने सस्ते पीओसी टेस्ट किट विकसित किए हैं, जो हीमोफीलिया ए, वॉन विलेब्रांड रोग और सिकल सेल रोग जैसी रक्त बीमारियों की पहचान को किफायती और सरल बनाते हैं। यह किट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी उपयोग की जा सकती है, जिससे महंगे टेस्ट और विशेष अस्पतालों की कमी की समस्या को दूर किया जा सकेगा।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने सस्ते और सरल पॉइंट-ऑफ-केयर (पीओसी) टेस्ट किट तैयार किए हैं, जिससे देश में हीमोफीलिया ए, वॉन विलेब्रांड रोग (वीडब्ल्यूडी) और सिकल सेल रोग (एससीडी) जैसे जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर की पहचान आसान और किफायती बन गई है। महंगे टेस्ट और स्पेशलिटी हॉस्पिटल की कमी की वजह से इन गंभीर रक्तस्रावी बीमारियों की अक्सर पहचान समय पर नहीं हो पाती है। देश में हीमोफीलिया ए से करीब 1,36,000 लोग प्रभावित हैं, लेकिन इनमें से बहुत कम का इलाज या इसके लिए रजिस्ट्रेशन हो पाता है। वहीं, देश के कुछ क्षेत्रों में वॉन विलेब्रांड रोग 12,000 लोगों में से एक को प्रभावित करता है, रिसर्च से पता चलता है कि जेनेटिक ब्लीडिंग डिसऑर्डर में इसकी व्यापकता 10 प्रतिशत है। सिकल सेल रोग खासकर जनजातीय आबादी में ज्यादा पाया जाता है। इसके 57 प्रतिशत रोगी जनजातीय लोग हैं, हालांकि गैर-जनजातीय आबादी में इसकी व्यापकता 43 प्रतिशत है।
आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोहेमेटोलॉजी (एनआईआईएच) ने हीमोफीलिया ए और वीडब्ल्यूडी के लिए पीओसी टेस्ट किट तैयार किए हैं, जिसका इस्तेमाल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर भी हो सकता है। इस किट की लागत मात्र 582 रुपए है, जबकि मौजूदा लैब टेस्ट की कीमत 2,086 रुपए हैं।
महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में आईसीएमआर-सेंटर फॉर रिसर्च, मैनेजमेंट एंड कंट्रोल ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथीज (सीआरएमसीएच) की निदेशक डॉ. मनीषा मडकाइकर ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, “हमारे पास अब कई टेस्ट हैं, जो भारत में बने हैं और ब्लड डिसऑर्डर का इलाज कर सकते हैं। यह ऐसी चीज है जिस पर हम सभी को गर्व होना चाहिए।”