बच्चा होना आसान नहीं, वो भी आज के दौर में। ऐसा समय जब ध्यान भटकाव के रास्ते अनगिनत हैं। लैपटॉप है, कंप्यूटर पर ज्यादा वक्त बिताने का ऑप्शन है! चाइल्ड स्पेशलिस्ट हों, मनोवैज्ञानिक हों या फिर बड़े बुजुर्ग, सबका मानना है कि फिजिकल एक्टिविटी कम हो रही है। शारीरिक श्रम मन और मस्तिष्क को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए भी जरूरी है और ऐसा ही एक जरिया है योग। जो हर उम्र के लिए जरूरी और लाभदायक है। अगर बचपन से ही योगाभ्यास किया जाए तो ताउम्र छोटी-मोटी परेशानियों से दूर रहा जा सकता है। प्राणायाम या योगाभ्यास करने से पहले नियम जानना जरूरी है।
आयुष मंत्रालय ने हेगेन और नायर (2014) के एक अध्ययन का जिक्र किया है, जिसके अनुसार योग बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है, जो उन्हें तनाव का सामना करने के काबिल बनाता है। साथ ही, बच्चों और युवाओं को इससे ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है। अति हर चीज की खराब होती है। एक्सपर्ट्स की सलाह है कि छोटे बच्चों (3 से 6 साल तक) के लिए 35 मिनट का योगाभ्यास सही होता है। स्वास्थ्य विभाग की साइट पर इसे लेकर अहम जानकारी साझा की गई है। इसके अनुसार बच्चों के लिए योग करना अनगिनत फायदे दिला सकता है, लेकिन उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को देखते हुए, उन्हें ध्यानपूर्वक योग सत्र में शामिल करना चाहिए और योग करने का कुल समय 35 मिनट निर्धारित किया जाना चाहिए।
3 से 6 साल के छोटे बच्चों को योगाभ्यास कराने के कुछ फायदे हैं। वृक्षासन, ताड़ासन से एकाग्रता बढ़ती है और फोकस बढ़ता है। योग गुरुओं के अनुसार बच्चों के लिए एकाग्रता बहुत आवश्यक है क्योंकि वे सीखते हैं और उसी अनुसार उनका विकास होता है। कई स्टडी बताती हैं कि योग का नियमित अभ्यास स्मरण शक्ति में सुधार लाता है। मंडूकासन और आगे झुकने के आसन स्मृति और अन्य मानसिक कार्यों में सुधार करने में फायदेमंद हैं।
इतना ही नहीं, योग प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। इस उम्र के बच्चे अक्सर अपने माता-पिता द्वारा की जाने वाली देखभाल के बावजूद सर्दी- खांसी का शिकार हो जाते हैं। योग तंत्रिका, अंतःस्रावी, पाचन और परिसंचरण तंत्र के कार्य को सुचारू रूप से करने में सहायता करता है। भुजंगासन, पर्वतासन, प्लैंक, और गहन श्वास तकनीक जैसे सरल आसन, बच्चों को आसानी से रोगाणुओं से पीड़ित होने से बचा सकते हैं। भुजंगासन और उष्ट्रासन वाणी में सुधार करने में सहायक होते हैं। ‘ओ३म्’ का जप करते हुए स्पंदन भी उत्पन्न होते हैं जो आवाज की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।
कागासन, कोणासन, गोमुखासन जैसे आसन शरीर और मन के समन्वय में सुधार करते हैं। उचित आहार के साथ मिलकर विभिन्न आसन ताकत, स्थिरता और लचीलेपन में सुधार करने में मदद करते हैं। बड़ों की तरह, बच्चे विभिन्न भावनात्मक अवस्थाओं से गुजरते हैं। योग वो उपाय है जो आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है।
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