भूक में इश्क़ की तहज़ीब भी मर जाती है
चाँद आकाश पे थाली की तरह लगता है
ज़मीन ले के वो आए तो घर बनाया जाए
खड़े हैं देर से हम लोग ईंट गारे लिए
Munawwar Rana Poetry: मुनव्वर राना के खजाने से 8 खूबसूरत शेर
कहीं से चाँद कहीं से क़ुतुब-नुमा निकला
क़दम जो घर से निकाला तो रास्ता निकला
बात से बात की गहराई चली जाती है
झूट आ जाए तो सच्चाई चली जाती है
जाने कैसा रिश्ता है रहगुज़र का क़दमों से
थक के बैठ जाऊँ तो रास्ता बुलाता है
बस इक पुकार पे दरवाज़ा खोल देते हैं
ज़रा सा सब्र भी इन आँसुओं से होता नहीं
कुछ दिनों के लिए मंज़र से अगर हट जाओ
ज़िंदगी भर की शनासाई चली जाती