डायबिटीज को मैनेज करने में ऑनलाइन पोषण कार्यक्रम भी प्रभावी, शोध में दावा - Punjab Kesari
Girl in a jacket

डायबिटीज को मैनेज करने में ऑनलाइन पोषण कार्यक्रम भी प्रभावी, शोध में दावा

डायबिटीज नियंत्रण में ऑनलाइन पोषण की भूमिका पर शोध

भारत में डायबिटीज की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए एक शोध में पाया गया कि ऑनलाइन पोषण कार्यक्रम बेहद प्रभावी साबित हो सकता है। शोध के अनुसार, पौधों पर आधारित आहार अपनाने से दवाओं की जरूरत कम होती है, वजन घटता है और ब्लड शुगर लेवल में सुधार होता है। यह भारत के 101 मिलियन डायबिटीज पीड़ितों के लिए बेहद उपयोगी है।

भारत में डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। बहुत से लोग जानते हैं कि उन्हें सही खानपान अपनाना चाहिए, लेकिन वे उस पर लंबे समय तक टिक नहीं पाते। ऐसे में एक शोध किया गया, जिसका नेतृत्व एक भारतीय मूल के शोधकर्ता ने किया है। इस शोध में पाया गया कि अगर लोगों को ऑनलाइन तरीके से पोषण कार्यक्रम दिया जाए, तो भारत में तेजी से बढ़ रही डायबिटीज की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है।

अमेरिका स्थित फिजिशियन कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन (पीसीआरएम) के नेतृत्व में किए गए शोध में शामिल प्रतिभागियों ने एक डॉक्टर-निर्देशित और पौधों पर आधारित पोषण कार्यक्रम का पालन किया। जिसके बाद उनकी सेहत में सुधार देखा गया। दवाओं की जरूरत कम महसूस की गई, शरीर का वजन घटा, ब्लड शुगर लेवल बेहतर हुआ और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी भी शामिल रही।

अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन में प्रकाशित शोधपत्र में टीम ने कहा कि यह शोध भारत के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि भारत में इस समय 101 मिलियन वयस्क डायबिटीज से पीड़ित हैं। इसके अलावा, 136 मिलियन लोग ऐसे हैं जो प्रिडायबिटीज की स्थिति में हैं।

पीसीआरएम के साथ आंतरिक रोग विशेषज्ञ व लेखिका डॉ. वनीता रहमान ने कहा, ”भारत में डायबिटीज का संकट ऐसा है, जिसका समाधान हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के भीतर ही होना चाहिए।”

डॉ. वनीता रहमान ने कहा, ”हमें यह बात तो बहुत पहले से पता है कि खानपान में बदलाव से डायबिटीज को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसे लागू करना मुश्किल रहा है, क्योंकि डॉक्टरों के पास सीमित समय होता है, फॉलो-अप ठीक से नहीं हो पाता, खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों तक सुविधाएं पहुंच नहीं पाती हैं।

इस शोध में उन आम चुनौतियों को ध्यान में रखा गया, जिनका सामना भारतीय मरीज अपनी जीवनशैली बदलने की कोशिश करते समय करते हैं, जैसे मरीजों को सही जानकारी या पोषण संबंधी मार्गदर्शन आसानी से नहीं मिल पाता। लोग अक्सर यह नहीं जानते कि कहां से शुरुआत करें, क्या खाएं, कैसे पालन करें। जीवनशैली में बदलाव को निरंतर नहीं रखा आदि।

12 हफ्ते के ऑनलाइन पोषण कार्यक्रम में टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित 76 मरीजों को शामिल किया गया, जिसमें से 58 मरीजों ने कार्यक्रम को पूरा किया। इनमें से 22 प्रतिशत प्रतिभागियों ने सेहत में सुधार के बाद अपनी डायबिटीज की दवाओं की खुराक कम कर दी। औसतन, प्रतिभागियों का वजन 3.7 किलो (लगभग 8 पाउंड) घटा। ब्लड शुगर पर भी असर देखा गया।

रहमान ने कहा, ”ये नतीजे भारत के संदर्भ में काफी उपयोगी हैं, वो इसलिए क्योंकि शाकाहारी और प्लांट बेस्ड भोजन हमारे सांस्कृतिक खानपान का हमेशा से हिस्सा रहे हैं। तो इस तरह वसा की मात्रा कम कर संपूर्ण खाद्य पदार्थों पर ध्यान दिया जा सकता है। इस तरह का पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक खानपान आसानी से हमारे भारतीय घरों में अपनाया जाता है।”

बस एक मुट्ठी अंकुरित मूंगफली रखती है दिल और हड्डियों का पूरा ख्याल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nine − 7 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।