औषधि के रूप में हल्दी का उपयोग प्राचीन भारतीयों द्वारा घाव, पेट दर्द, जहर आदि के इलाज में किया जाता था।
काली हल्दी एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है, जो अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है।
काली हल्दी को देश के कुछ हिस्सों में ही उगाया जाता है। इसका इस्तेमाल दवाई बनाने के लिए भी होता है।
वैज्ञानिक रूप से कर्कुमा कैसिया या ब्लैक जेडोरी के नाम से जानी जाने वाली हल्दी की प्रजाति को हिंदी में काली हल्दी के नाम से भी जाना जाता है।
यह बारहमासी है और चिकनी मिट्टी में नम वन क्षेत्रों में अच्छी तरह से पनपती है। अधिकतर उत्तर-पूर्व और मध्य भारत में मिलती है।
काली हल्दी का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में लाभदायक है, जो पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है।
साथ ही, यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, जो शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है।
काली हल्दी त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाती है और इसके इस्तेमाल से बाल भी मजबूत होते हैं।
काली हल्दी डायबिटीज को तो नियंत्रित करती ही है। साथ ही, ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होती है।
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