Hindi Poetry: “तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत” शायरों की महफिल से 8 खूबसूरत शेर - Punjab Kesari
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Hindi Poetry: “तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत” शायरों की महफिल से 8 खूबसूरत शेर

शायरों की महफिल से चुनिंदा 8 खूबसूरत शेर

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जहां रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा
किसी चराग़ का अपना मकान नहीं होता
-वसीम बरेलवी

Poetry

सुब्ह होती है शाम होती है
उम्र यूंही तमाम होती है
-मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम

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हिंदी शायरीतुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें
-फ़िराक़ गोरखपुरी

The Jaun Elia 1Jaun Elia Poetry: “जाने कैसे लोग वो…” जौन एलिया के खूबसूरत शेर

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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कभी किसी को मुकम्मल जहान नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमान नहीं मिलता
-निदा फ़ाज़ली

तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली
-जाफ़र अली हसरत

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आईना क्यूं न दूं कि तमाशा कहें जिसे
ऐसा कहां से लाऊं कि तुझ सा कहें जिसे
-मिर्ज़ा ग़ालिब

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उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
-शकील बदायूनी

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