Hindi Poetry: “तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत…” दिल को बेहद रास आएंगे ये शेर - Punjab Kesari
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Hindi Poetry: “तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत…” दिल को बेहद रास आएंगे ये शेर

शायरी की दुनिया में खो जाइए, पढ़िए ये दिलकश हिंदी शेर

Poetry

ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूं आज तिरे नाम पे रोना आया
-शकील बदायूनी

ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूं देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
-साहिर लुधियानवी

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हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
-जिगर मुरादाबादी

pexels pixabay 459335 3Bashar Nawaz Poetry: शायरी के जादूगर बशर नवाज के बेहतरीन शेरpexels 8moments 1353126 2

वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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पूछा जो उन से चांद निकलता है किस तरह
ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूं
-आरज़ू लखनवी

तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली
-जाफ़र अली हसरत

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं
सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं
-हैरत इलाहाबादी

फ़रिश्ते से बढ़ कर है इंसान बनना
मगर इस में लगती है मेहनत ज़ियादा
-अल्ताफ़ हुसैन हाली

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