न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
-बशीर बद्र
हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जाएंगे हम तुम को ख़बर होते तक
-मिर्ज़ा ग़ालिब
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
-बशीर बद्र
Firaq Gorakhpuri Poetry: फ़िराक़ गोरखपुरी के नगमों से 8 दिल छू लेने वाले शेर
पूछा जो उन से चांद निकलता है किस तरह
ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूं
-आरज़ू लखनवी
दिल में किसी के राह किए जा रहा हूं मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूं मैं
-जिगर मुरादाबादी
तुम्हें ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली
-जाफ़र अली हसरत
वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमान
हम अभी से क्यूं बताएं क्या हमारे दिल में है
-बिस्मिल अज़ीमाबादी
आख़री हिचकी तिरे ज़ानूं पे आए
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूं
-क़तील शिफ़ाई
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