किस किस को बताएंगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
-अहमद फ़राज़
ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था
हमीं सो गए दास्तान कहते कहते
-साक़िब लखनवी
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
-जोश मलीहाबादी
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आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं
सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं
-हैरत इलाहाबादी
तेरी आंखों का कुछ क़ुसूर नहीं
हां मुझी को ख़राब होना था
-जिगर मुरादाबादी
चले तो पांव के नीचे कुचल गई कोई शय
नशे की झोंक में देखा नहीं कि दुनिया है
-शहाब जाफ़री
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
-हसरत मोहानी
किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
-आरज़ू लखनवी
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