ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
-जिगर मुरादाबादी
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
-राहत इंदौरी
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
-बशीर बद्र
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सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं
-अल्लामा इक़बाल
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
-मिर्ज़ा ग़ालिब
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता
-बशीर बद्र
कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी
कुछ मुझे भी ख़राब होना था
-असरार-उल-हक़ मजाज़
हम से क्या हो सका मोहब्बत में
ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की
-फ़िराक़ गोरखपुरी
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