इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशां नहीं है
-मुस्तफ़ा ज़ैदी
वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं
-मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता
-चराग़ हसन हसरत
Javed Akhtar Poetry: “होंटों पे लतीफ़े हैं…” जावेद अख़्तर के खूबसूरत शेर
कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी
कुछ मुझे भी ख़राब होना था
-असरार-उल-हक़ मजाज़
हम से क्या हो सका मोहब्बत में
ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की
-फ़िराक़ गोरखपुरी
ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम ‘अमीर’
सारे जहां का दर्द हमारे जिगर में है
-अमीर मीनाई
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
-जोश मलीहाबादी
यूं तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
-शकील बदायूनी
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