एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
-फ़िराक़ गोरखपुरी
कुछ तो मजबूरियां रही होंगी
यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता
-बशीर बद्र
सितारों से आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहान और भी हैं
-अल्लामा इक़बाल
Sahir Ludhianvi Poetry: “कैसे नादान हैं…” साहिर लुधियानवी के चुनिंदा शेर
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
-अहमद फ़राज़
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएं कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएं कैसे
-वसीम बरेलवी
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं
-फ़िराक़ गोरखपुरी
अंदाज़ अपना देखते हैं आइने में वो
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो
-निज़ाम रामपुरी
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
-साहिर लुधियानवी
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