ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता
-चराग़ हसन हसरत
दिल के फफूले जल उठे सीने के दाग़ से
इस घर को आग लग गई घर के चराग़ से
-महताब राय ताबां
वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Kalim Aajiz Poetry: कलीम आजिज़ की कलम से 8 बेहतरीन शेर
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
-दाग़ देहलवी
मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे
-हफ़ीज़ होशियारपुरी
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
-जोश मलीहाबादी
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
-बिस्मिल अज़ीमाबादी
सूरज हूं ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊंगा
मैं डूब भी गया तो शफ़क़ छोड़ जाऊंगा
-इक़बाल साजिद
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