किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
-अहमद फ़राज़
उस की याद आई है सांसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
-राहत इंदौरी
कह रहा है शोर-ए-दरिया से समुंदर का सुकूत
जिस का जितना ज़र्फ़ है उतना ही वो ख़ामोश है
-नातिक़ लखनवी
Ahmad Faraz Poetry: “ज़िंदगी से यही गिला है मुझे…” पढ़िए अहमद फ़राज़ के बेमिसाल शेर
किस किस को बताएंगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
-अहमद फ़राज़
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा
कुछ ने कहा ये चांद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा
-इब्न-ए-इंशा
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूं लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
-क़तील शिफ़ाई
वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमान
हम अभी से क्यूं बताएं क्या हमारे दिल में है
-बिस्मिल अज़ीमाबादी
Travel Ideas: अप्रैल के महीने में फैमिली संग ट्रिप के लिए ये हिल स्टेशन हैं सबसे बेस्ट