Hindi Poetry: “जाने क्यूं आज…” शायरों की महफिल से 8 दिलकश शेर - Punjab Kesari
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Hindi Poetry: “जाने क्यूं आज…” शायरों की महफिल से 8 दिलकश शेर

शायरी की महफिल में ‘जाने क्यूं आज…’ के 8 बेहतरीन शेर

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ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूं आज तिरे नाम पे रोना आया
-शकील बदायूनी

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ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूं देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
-साहिर लुधियानवी

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
-जिगर मुरादाबादी

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हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएंगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ
-क़तील शिफ़ाई

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो
-बशीर बद्र

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ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
-मिर्ज़ा ग़ालिब

Poetry

कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कहीं ज़मीन कहीं आसमान नहीं मिलता
-निदा फ़ाज़ली

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