तमाम उम्र जो की हम से बे-रुख़ी सब ने
कफ़न में हम भी अज़ीज़ों से मुंह छुपा के चले
करे है अदावत भी वो इस अदा से
लगे है कि जैसे मोहब्बत करे है
मेरे टूटे हौसले के पर निकलते देख कर
उस ने दीवारों को अपनी और ऊंचा कर दिया
Akbar Allahabadi Poetry: शायरी के उस्ताद अकबर इलाहाबादी की कलम से 8 नायाब शेर
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहां कहां
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहां कहां
तमाम उम्र इसी एहतियात में गुज़री
कि आशियां किसी शाख़-ए-चमन पे बार न हो
दिल की बाज़ी लगे फिर जान की बाज़ी लग जाए
इश्क़ में हार के बैठो नहीं हारे जाओ
जीता है सिर्फ़ तेरे लिए कौन मर के देख
इक रोज़ मेरी जान ये हरकत भी कर के देख
किसी का यूं तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी
इन बातों का नहीं रखा ख्याल तो आप भी हो सकते हैं डिहाइड्रेशन का शिकार