और तो क्या था बेचने के लिए
अपनी आंखों के ख़्वाब बेचे हैं
– जौन एलिया
हम भी क्या ज़िंदगी गुज़ार गए
दिल की बाज़ी लगा के हार गए
– दाग़ देहलवी
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझे भूल के ज़िंदा रहूं ख़ुदा न करे
– क़तील शिफ़ाई
Jaun Elia Poetry: “जाने कैसे लोग वो…” जौन एलिया के खूबसूरत शेर
कुछ फैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए
पानी को अब तो सर से गुज़र जाना चाहिए
– परवीन शाकिर
आंखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमां हो
नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है
– जां निसार अख़्तर
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
– फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
– साहिर लुधियानवी
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
– निदा फ़ाज़ली
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