आयुर्वेद और फास्टिंग: शरीर के दोष मिटाने से लेकर कैंसर तक में असरदार - Punjab Kesari
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आयुर्वेद और फास्टिंग: शरीर के दोष मिटाने से लेकर कैंसर तक में असरदार

भारत में युगों-युगों से आयुर्वेदिक पद्धिति से बीमारियों का इलाज किया जाता रहा है। आयुर्वेद में ऐसी कई

भारत में युगों-युगों से आयुर्वेदिक पद्धिति से बीमारियों का इलाज किया जाता रहा है। आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी बूटियां हैं जो दवा का काम करती हैं।

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आयुर्वेद को चिकित्सा की सबसे प्राचीन उपचार प्रणाली माना जाता है। आयुर्वेद में सिर्फ आपके रोग पर काम नहीं किया जाता है बल्कि उस रोग के कारणों पर काम किया जाता है।

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आयुर्वेद में शरीर में बीमारियों की वजह त्रिदोष का बैलेंस बिगड़ना माना जाता है। त्रिदोष यानि शरीर में पाया जाने वाला वात दोष, पित्त दोष और कफ दोष।

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आयुर्वेद व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा को एक संपूर्ण इकाई के रूप में मानता है और इसी के आधार पर काम करता है।

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मन और शरीर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं और दोनों साथ में मिलकर किसी भी बीमारी को दूर कर सकते हैं।

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आयुर्वेद के मुताबिक शरीर में उपचयजन्य और क्षयजन्य दो वजह अलग-अलग बीमारियों का कारण बनती हैं।

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उपचयजन्य बीमारियों में मोटापा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, सांस फूलना, बुखार, सर्दी जुकाम और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियां भी शामिल हैं।

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वहीं क्षयजन्य बीमारियों में शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है। उपचयजन्य बीमारियों के ठीक करने के लिए लंघन चिकित्सा यानि फास्टिंग का इस्तेमाल किया जाता है। 

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जबकि क्षयजन्य बीमारियों को ठीक करने के लिए वृहण चिकित्सा का उपयोग किया जाता है जिसमें शरीर को जरूरी पोषण दिया जाता है।

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