एफआईआर में जाति क्यों दर्ज की जाती है - Punjab Kesari
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एफआईआर में जाति क्यों दर्ज की जाती है

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चंडीगढ़:पुलिस द्वारा किसी भी अपराध के आरोपी के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करते समय आरोपी की जाति लिखे जाने के नियम के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को फटकार लगाते हुए पूछा कि, यह रवायत किस प्रावधान के तहत चलाई जा रही है वहीँ सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट को बताया गया कि, न सिर्फ एफ.आई.आर. बल्कि ऐसा ही कुछ स्कूलों में भी चल रहा है जहाँ बच्चों के दाखिले के दौरान जाति पूछी जा रही है।

इस जानकारी पर हाई कोर्ट ने इस जनहित याचिका का दायरा बढ़ाते हुए कहा कि, अब इस मामले में उन सभी जगहों पर जहाँ भी ऐसा कुछ चला रहा है उसे शामिल कित्या जाता है हाई कोर्ट ने अब इस मामले में केंद्र सरकार को भी पक्ष बना जवाब माँगा है हाई कोर्ट ने कहा कि, अब सभी मामलों पर एक साथ ही हाई कोर्ट निर्देश जारी करेगा बता दें कि, एडवोकेट एच.सी. अरोड़ा ने जनहित याचिका में बताया है कि, जब हमारा संविधान जातिवाद मुक्त तथा सभी धर्मों को बराबर का दर्जा देने वाला है, तो फिर एफ.आई.आर. में आरोपी और पीडि़त की जाति क्यों दर्ज की जाती है।

पंजाब पुलिस रूल्स-1934 के नियमों में एफ.आई.आर. दर्ज करते समय आरोपी और पीडि़त की जाति लिखे जाने का प्रावधान है। अरोड़ा ने दायर याचिका में बताया है की यह प्रावधान संविधान के लिखे जाने के से पहले के हैं और अब यह प्रावधान न सिर्फ असंवैधानिक है, बल्कि संविधान की मूल भावना का भी उलंघन है। अरोड़ा ने बताया की गत वर्ष सितंबर माह में हिमचाल प्रदेश में शिमला हाईकोर्ट ने भी पुलिस रूल्स के तहत विभिन्न फॉम्र्स में से जाति के कॉलम को खत्म करने के निर्देश दिए थे। लिहाजा अरोड़ा ने हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में मांग की है कि, हाईकोर्ट पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को भी एफ.आई.आर. में आरोपी और पीडि़त की जाति न लिखे जाने के निर्देश दे।

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।