चंडीगढ : कर्मचारी संगठनों के साथ वार्ता विफल होने के बाद प्रदेश सरकार आक्रामक हो गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पड़ोसी राज्यों को पत्र लिखकर जहां बस सेवा में मदद मांग ली है वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार से तीन सौ बसें हरियाणा में भेजने का फैसला भी कर लिया है। हिमाचल व राजस्थान भी हरियाणा में बसों के फेरे बढ़ाने के लिए तैयार हो गए हैं जबकि पंजाब सरकार ने सीएम के पत्र का जवाब नहीं दिया है। मंगलवार को पड़ोसी राज्यों की बसें हरियाणा में आने के बाद यह विवाद और गहराएगा। पिछले छह दिन से हरियाणा सरकार की किलोमीटर स्कीम का विरोध कर रहे रोडवेज कर्मचारियों की रविवार को सरकार के प्रतिनिधियों के साथ कई घंटे तक चली बैठक बेनतीजा रही।
हालांकि अटकले यही लगाई जा रही थी कि सोमवार को प्रदेश सरकार कर्मचारियों के साथ फिर से बैठक करके इस समस्या का समाधान निकाल सकती है, लेकिन इसके उलट सरकार ने कड़ा रूख अपनाते हुए कर्मचारियों से बातचीत करने की बजाए वैल्पिक व्यवस्था करनी शुरू कर दी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज सुबह पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल व राजस्थान के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा देते हुए मदद की मांग की। मुख्यमंत्री ने इन सभी राज्यों की सरकारों से अपनी बसों के फेरे बढ़ाने व अतिरिक्त बसों को हरियाणा में भेजने की मांग की। कुछ समय बाद ही उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार से हरियाणा में तीन सौ बसें भेजने का फैसला कर लिया।
रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में दर्जनों विभाग
उत्तर प्रदेश सरकार की सूचना के बाद यमुनानगर, करनाल व पानीपत में अधिकारियों द्वारा यूपी की बसों को अस्थाई परमिट जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई। इस बीच राजस्थान व हिमाचल सरकार भी इस बात पर सहमत हो गई हैं कि मंगलवार से वह हरियाणा में अपनी बसों को फेरे बढ़ाएंगे। दोनों राज्यों द्वारा पहले से ही हरियाणा के कई रूटों पर अपनी बसें चलाई जा रही हैं। जिसके चलते राजस्थान व हिमाचल हरियाणा में ही इन स्टेट बसों का संचालन करने के लिए तैयार हो गए हैं। आपात स्थिति में हरियाणा को बसों की मदद करने के मामले में पंजाब सरकार अभी चुप है।
(राजेश जैन)