लाल झंडे का इतिहास कुर्बानियों का रहा है : मोहम्मद सलीम - Punjab Kesari
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लाल झंडे का इतिहास कुर्बानियों का रहा है : मोहम्मद सलीम

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टोहाना : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पोलित ब्यूरो सदस्य व सांसद मोहम्मद सलीम ने आज कहा कि लाल झंडे का हिन्दोस्तान में इतिहास आजादी के आंदोलन से लेकर आज तक भारी कुर्बानियों का रहा है और शोषण की मौजूदा व्याव्स्था जब तक नहीं पलटी जाती इस झंडे के सिपाही हर तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। वह यहां पार्टी की हरियाणा इकाई के राज्य सम्मेलन पर आयोजित जन अधिकार रैली को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि लाल झंडा शासक जमात के दमन, उत्पीड़न व यातनाएं झेलने का, गरीबों, किसान-मजदूरों व मेहनतकश आवाम के हित में कुबार्नियों का रहा है तथा इस झंडे का सफाया न दुनिया में हुआ है और न देश में हो सकता है। सांसद मोहम्मद सलीम ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) व उसके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं से सवाल पूछा कि जब आजादी का आंदोलन लड़ जा रहा था उनके नेता क्या कर रहे थे? माकपा नेता ने कहा कि आरएसएस एक भी नेता जेल नहीं गया, दमन नहीं सहा और आज देशभक्ति का सबसे बड़ ठेका इस संगठन ने उठा रखा है। उन्होंने कहा कि मोदी जी 2014 में विकास, रोजगार देने के, महिलाओं को सशक्त बनाने के और काला धन वापस लाने के सपने दिखाकर सता में आए थे।

भाजपा बताए कि चार साल में नरेंद मोदी सरकार ने क्या किया। उन्होंने आरोप लगाया कि देश का किसान आत्महत्या कर रहा है, भारी संकट में आंदोलन कर रहा है और सरकारें उन्हें लाभकारी मूल्य न देकर उन पर गोलियां चलवा रहे हैं। श्री सलीम ने का कि परियोजना वर्करों आशा, मिड डे मील, आंगनवाड़ वर्करों को कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा रहा, युवाओं को रोजगार नहीं दिया जा रहा, शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक व जनकल्याण की योजनाओं को बर्बाद किया जा रहा है और महिलाओं व दलितों, अल्पसंख्यकों पर हमले करने वालों के साथ यह लोग खड़ हैं। पार्टी नेता नीलोत्पल बसु व राज्य सचिव सुरेन्द, मलिक ने कहा कि श्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा एक ही काम कर रही है वह लोगों में धर्म-जात की नफरत पैदा कर रही है, इलाकों में विभाजन पैदा कर रही है, सीमाओं पर सैनिकों को मरवा रही है। यह सरकार लोगों को राहत देने की बजाय देश-की धन दौलत को बड़ उद्योगपतियों, व्यापारियों के हाथों लुटवा रही है। बैंको से लाखों करोड़ के कर्जे लिए व्यापारियों के कर्जे माफ किये जा रहे हैं जबकि किसान-मजदूर गरीबी व कर्जे की हालात में आत्महत्या कर रहे हैं।

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