अपना गढ़ बचाने में जुटे सुरजेवाला - Punjab Kesari
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अपना गढ़ बचाने में जुटे सुरजेवाला

भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और अशोक तंवर के बीच पार्टी अध्यक्ष पद को लेकर जंग छिड़ी हुई है वही

कैथल : कांग्रेस में जहां भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और अशोक तंवर के बीच पार्टी अध्यक्ष पद को लेकर जंग छिड़ी हुई है वही पार्टी के प्रवक्ता और कैथल से कांग्रेस विधायक रणदीप सुरजेवाला चुपचाप अपने गढ़ कैथल को बचाने में लगे हैं। जानकारी अनुसार सुरजेवाला को उनके समर्थकों ने सलाह दी है कि वह अपने विधानसभा सीट पर फोकस करें क्योंकि कांग्रेस की आपसी लड़ाई से पार्टी की हालत दिन-प्रतिदिन पतली हो रही है। भाजपा के पक्ष में बन रहे माहौल को देखते हुए आप अपने विधानसभा क्षेत्र को सुरक्षित करें। 
अखिल भारतीय कांग्रेस कोर कमेटी के सदस्य एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला अपने गढ़ को बचाने के लिए सक्रिय हो गए हैं।पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अशोक तंवर के झगड़े को दरकिनार कर सुरजेवाला अपने विधानसभा क्षेत्र कैथल में चुनावी अभियान में जुट गए हैं। वह लोगों के बीच जा रहे हैं और इस दौरान उन्हें लोगों के सवालों का सामना भी करना पड़ रहा है।
अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हुए रणदीप, शहर व गांव-गांव जाकर वोटरों से साध रहे संपर्क जींद उपचुनाव में सुरजेवाला ने कहा था कि एमएलए बनकर जींद के पिछड़ेपन को दूर करुंगा। वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बताया जाता है कि इसके बाद सुरजेवाला ने खराब स्‍वास्‍थ्‍य का हवाला देकर लोकसभा चुनाव भी लड़ने से मना कर दिया था। 
लोकसभा चुनाव में कैथल जिले की सभी चारों विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार पीछे रहा था। अब विधानसभा चुनाव में अपनी कैथल की सीट बचाने के लिए सुरजेवाला गांव व वार्ड के मौजिज लोगों व बूथ प्रभारियों के साथ बैठक कर वोटरों से संपर्क कर रहे हैं।
2005 से कैथल पर सुरजेवाला परिवार का कब्जा
कैथल विधानसभा सीट से 2005 में उनके पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला विधायक बने थे। चुनाव में पिता ने बेटे के लिए सीट छोड़ दी। रणदीप ने 2009 में इनेलो के कैलाश भगत को 22 हजार, फिर 2014 में चुनावी मैदान में इनेलो के टिकट पर दोबारा उतरे भगत को 24 हजार वोटों से हराया। 
कैथल हलके से इनेलो के टिकट पर 2005, 2009 व 2014 का चुनाव लड़ने वाले प्रमुख उद्योगपति कैलाश भगत अब भाजपा में आ गए हैं। उनके भाजपा में आने से स्थिति बदल रही है रणदीप से दो बार व पिता शमशेर सुरजेवाला से एक बार कैलाश भगत चुनाव हार गए थे। कैलाश पंजाबी समुदाय से हैं, इस सीट पर करीब 20 हजार वोटर पंजाबी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात्र गुहला विधानसभा सीट पर ही जीत हासिल हुई थी।

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