Haryana: कांग्रेस नेतृत्व ने अपने कुछ वरिष्ठ नेताओं से कहा है कि वे हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपने सभी उम्मीदवारों से बात करें और पार्टी की हार के कारणों तथा ईवीएम की बैट्री के तकनीकी मूल्यांकन पर एक रिपोर्ट पेश करें। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एआईसीसी कोषाध्यक्ष अजय माकन और पंजाब विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा को इस सप्ताह के अंत में हरियाणा में होने वाली विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। पर्यवेक्षकों को सभी विधायकों से बात करने और उनकी राय लेने के लिए भी कहा गया है कि उनका नया नेता कौन होना चाहिए।
समिति का गठन
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा एक और तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया गया है। तथ्यान्वेषी तकनीकी समिति में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राजस्थान के पूर्व मंत्री हरीश चौधरी और पार्टी नेता एस सेंथिल शामिल हैं। वे हार के कारणों का पता लगाने के लिए पहले से ही हरियाणा में हैं। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि समिति सभी उम्मीदवारों से बात करने के बाद हार के कारणों और तकनीकी मुद्दों पर एक रिपोर्ट सौंपेगी।
मतगणना के दिन के घटनाक्रमों का अध्ययन- केसी वेणुगोपाल
केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘हमने मतगणना के दिन के घटनाक्रमों का अध्ययन करने के लिए एक तकनीकी टीम को हरियाणा भेजा है। वे सभी बूथों का दौरा कर रहे हैं और सभी उम्मीदवारों से बात करने के बाद लौटेंगे और हर चीज की रिपोर्ट देंगे।’’ वेणुगोपाल ने ईवीएम बैट्री में ‘‘विसंगतियों’’ के मुद्दे पर उचित जांच किए बिना ही ‘‘खुद को क्लीन चिट देने’’ की मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की टिप्पणी पर भी आश्चर्य व्यक्त किया। कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों को ‘अप्रत्याशित’ और ‘लोक भावना के खिलाफ’ करार देते हुए पिछले मंगलवार को कहा था कि इस जनादेश को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि राज्य में ‘तंत्र की जीत और लोकतंत्र की हार’ हुई है।
पवन खेड़ा ने ईवीएम को लेकर की थी शिकायत
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने दावा किया था कि कई विधानसभा क्षेत्रों से ईवीएम को लेकर शिकायतें आई हैं तथा जिन ईवीएम की बैट्री 99 प्रतिशत चार्ज थी उनमें कांग्रेस उम्मीदवारों की हार हुई है, लेकिन जिनकी बैट्री 60-70 प्रतिशत चार्ज थी उनमें कांग्रेस की जीत हुई है। इसी साल जून में लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के बीच हुई पहली बड़ी सीधी लड़ाई में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 48 सीट पर जीत दर्ज की जबकि 2019 में उसे 41 सीट मिली थी। कांग्रेस को 37 सीट पर संतोष करना पड़ा।
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