जींद : ई-पंचायत के विरोध में गांव के सरपंच सड़कों पर उतर आये है। रविवार को प्रदेशभर के सरपंचों व ग्राम सचिवों ने जींद में प्रदर्शन कर सीएम का पुतला फूंका। सरपंचों ने फैसला लिया कि प्रदेश की सभी पंचायत गांव के विकास कार्य रोकेंगे और कोई भी रिकार्ड सरकार को नहीं दिया जाएगा। सरकार को किसी भी तरह का सहयोग नहीं किया जाएगा। 22 मार्च को सभी मुख्यालयों पर अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम डी.सी. को ज्ञापन दिया जाएगा। इसके बाद 28 मार्च को करनाल में मुख्यमंत्री के आवास पर धरना दिया जाएगा। इससे पूर्व सरपंच व ग्राम सचिवों ने जाट धर्मशाला से गोहाना रोड तक प्रदर्शन किया, जहां चक्की मोड़ के पास मुख्यमंत्री का पुतला फूंका। रविवार को प्रदेशभर के सरपंचों ने जाट धर्मशाला में बैठक की।
इसकी अध्यक्षता सरपंच एसोसिएशन जींद के जिला प्रधान सुरेंद्र सिंह राणा ने की। उन्होंने कहा कि सरकार अनाप शनाप नीतियां बनाकर सरपंचों से खिलवाड़ कर रही है। सरकार की गलत नीतियों के कारण गांवों में विकास कार्य रूके हुए हैं। सरपंचों को सरकार की तरफ से काई भी सुविधा नहीं मिल पा रही है। सरकार एक तरफ गांव का विकास करना चाहती है, लेकिन सरपंचों को सभी सुविधाएं मुहैया नहीं करा रही। जिससे सरपंचों में सरकार के खिलाफ भारी रोष है। उन्होंने मांग की कि ई-पंचायत पूर्ण रूप से गांव के विकास में बाधक है। इसे तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए। पंचायती राज को पूर्व शक्तियों के साथ लागू किया जाए।
ग्राम सचिवों का वाहन भत्ता कम है। जिससे कम से कम पांच हजार रुपए किया जाए। सरपंचों और पंचों का मानेदय तुरंत प्रभाव से बढ़ाया जाए और टीए और डीए सरकारी कोष से दिया जाए। ग्राम सचिव के लिए शैक्षणिक योग्यता कम से कम स्नातक की जाए और इनका वेतनमान पटवारी के बराबर किया जाए। सरपंच व ग्राम सचिव का इंश्योरेंस कम से कम एक करोड़ रुपये का किया जाए। सरपंचों को सांसद व विधायक की तरह पेंशन की सुविधा की जाए।
देश और दुनिया का हाल जानने के लिए जुड़े रहे पंजाब केसरी के साथ।
– संजय शर्मा