करनाल : सोनीपत सहकारी शुगर मिल में सेल परचेज अधिकारी होशियार सिंह कुण्डू द्वारा व्याप्त अनियमितताओं का मुद्दा कष्ट निवारण समिति की बैठक में उठाया गया। बैठक की अध्यक्षता कर रहे परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने इस मामले में डी.सी मुकुंद पाडूरंग को विस्तृत जांच कर इसकी रिपोर्ट कष्ट निवारण समिति की बैठक में उठाने को कहा गया है। उधर सहकारी शुगर मिल के डायरैक्टर राजकुमार दहिया ने एक और चिट्टी मुख्यमंत्री मनोहर लाल को लिखी है। जिसमें कायदे कानून को ताक पर रखकर खरीददारी करने के मामले को उठाया गया है। इसमें कहा गया है कि शुगर मिल में कुछ अधिकारी जानबुझकर मिल को चूना लगा रहे है। डायरैक्टर को जानकारी देने से इंकार कर रहे है। सोनीपत में कष्ट निवारण समिति की बैठक में परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने 16 में से 14 शिकायतों का निवारण किया।
इस अवसर पर सहकारी चीनी मिल में पर्चियों के वितरण में हो रही धांधली का मामला उठाया गया। इसके अलावा सेल्स एवं परचेज अधिकारी होशियार सिंह कुण्डू द्वारा व्याप्त अनियमितताओं का मामला उठाया गया। इस पर मंत्री ने कहा कि डी.सी को उन्होंने जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए है। उधर सोनीपत शुगर मिल के डायरैक्टर राजकुमार दहिया ने मुखर होते हुए शुगर मिल में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने आज दूसरे दिन मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने शुगर मिल में अपने चहेते को लाखों रुपए के टैंडर दिए जाने का मामला उठाया। कैन महकमे में जोन-1, 2 की सर्वे व बाँड के बारे में जानना चाहा तो उसकी रिपोर्ट एम.डी ने नहीं दी। वह दो महीने तक टालते रहे। जब एम.डी से बातचीत की तो एम.डी ने गुप्त दस्तावेज बताकर देने से इंकार कर दिया। जबकि गन्ना विभाग के अधिकारियों ने माना कि इसमें अनियमितताएं व्याप्त है। कई कर्मचारी संस्पैंड हो जाऐंगे।
उन्होंने कहा कि अधिकारी ही अपने आपको मालिक बताते है। वह बोर्ड की प्रतिष्ठा को खत्म कर रहे है। इसके अलावा मिल में करोड़ो रुपए का चूना जी-आई शीटों का टैंडर लगाया गया। उस टैंडर में सेल, टाटा और जिन्दल कम्पनियों की शीटों के लिए टैंडर आमंत्रित किए गए। लेकिन टैंडर शंशाक क्रिएशन को मिल गया। जी.आई सीट जो मिल में आई वह बिना मोहर के बेचे गई। जिन्हें सिविल इंजीनियर ने रिजैक्ट कर दिया। परचेज अधिकारी के आदेश पर शीट उतरवा दी गई। इंजीनियर ने पास करने से मना कर दिया। और फिर उसके ऊपर कमेटी बिठाई गई और फैसला लिया गया कि प्रयोगशाला में शीट के टुकड़ो को प्रयोगशाला में भेजा जाएं। जब उस पर मोहर ही नहीं थी तो उसे भेजने की आवश्यकता ही नहीं थी। कमाल तो जब हो गया। जब शीट के टुकड़ो को बिना शील किए लिफाफे में भेज दिया। जिसे उन्हें पास नहीं किया गया। लोकल शीट की खरीद 1150 रुपए प्रति शीट थी।
जिसकी टोटल राशि 4 लाख, 7 हजार 100 रुपए थी। बाद में मामला जब गंभीर हुआ तो सेल कम्पनी की खरीदी गई। जो 863 रुपए की प्रति शीट तथा कुल मिलाकर 3 लाख, 4 हजार 400 रुपए में खरीद हुई। यदि अन्तर देखा जाएं तो 1 लाख, 2 हजार, 700 रुपए का था। मिल में थ्री एलीमेट सिस्टम 2016-17 में 2 लाख 35 हजार रुपए का खरीदा, लेकिन बिल में 2 सिस्टम के पैसे लेने की चाल चली गई। जिसमें बोथ लिखकर 2 लाख 35 हजार रुपए डकारने की कोशिश की गई। इंजीनियर और स्टोर कीपर की वजह से शुगर मिल को नुक्सान होने से बच गया। उन्होंने बताया कि 4 मार्च, 2017 को शुगर मिल सोनीपत की ट्रबाईन टूट गई। जिसमें मिल को करोड़ो रुपए की हानि हुई। किसानों को गन्ना डालने के लिए जो परेशानी हुई वह आज भी दिल को दहला देती है। लेकिन किसी भी कर्मचारी और अधिकारी को नोटिस जारी नहीं किया गया। उन्होंने खुलासा करते हुए मुख्यमंत्री को लिखा कि 2016-17 में गर्वनर 505-डी करीब 14 लाख रुपए में खरीदा गया। लेकिन इसे इस्तेमाल नहीं किया गया।
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– हरीश