करनाल : तरावडी की नई अनाज मंडी के सामने पीडब्लयूडी विभाग की सरकारी जमीन पर कब्जे का मामला अब प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के दरबार पहुचं गया है। सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को इस मामले पर मुख्यमंत्री कार्यालय से करनाल प्रशासन को जांच के आदेश आ सकते है। इधर विभागीय जांच के बाद पीडब्लयूडी विभाग के अधिकारियों ने पंजाब केसरी के समक्ष खुलासा किया है। कि सरकारी जमीन पर दूकानो के निर्माण और कब्जे के मामले को लेकर डीसी के आदेश के बाद इस मामले की विभागीय जांच शुरू हो गई है। पीडब्ल्यूडी विभाग के एसडीओ अमित कौशिक ने पंजाब केसरी को बताया कि विभागीय जांच के आदेश मिल जाने के बाद इसकी निशानदेही की जाएगी। हालांकि अमित कौशिक ने यह भी बताया कि सोमवार को पीडब्लयूडी विभाग जमीन के सिजरे की कॉपी हासिल करेगा। लेकिन पंजाब केसरी के पास सिजरे की कॉपी भी मौजूद है।
एसडीओ के मुताबिक जिन लोगों ने सरकारी भूमि पर दूकाने बनाई है। उन्हे नोटिस भेजे जाएंगें। नीलोखडी के रवैन्यू अधिकारी और तहसील विभाग के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को निशानदेही के समय मौके पर बुलाया जाएगा। और पार्षदों, अधिकारियों और दूकानदार की मौजूदगी में सरकारी सड़क और जिस पर निर्माण किया गया है उसकी निशानदेही मौके पर की जाएगी। बाद में इस जांच की रिपोर्ट डीसी को भेजी जाएगी। कौशिक ने यह भी खुलासा किया कि जांच के आदेश मिल जाने के बाद वह दो दिन पहले ही मौके का मुआयना करके आए थे। इधर विभागीय जांच के बाद दूकानदारों मे जहाँ हडकंप मचा हुआ है वहीं रविवार को एक कब्जाधारी ने अधूरे निर्माण पर लैंटर बांधने की कोशिश की।
लेकिन इस बीच पीडब्लयूडी विभाग के कुछ कर्मचारी वहाँ पहुंच गए। जब उन्होने वहाँ देखा की बिना निशानदेही के निर्माण कार्य चल रहा है तो उन्होने इसकी इतला तुरंत एसडीओ को दी। एडीओ अमित कौशिक ने तुरंत विभाग के जे.ई. फूल सिंह व अन्य कर्मचारियों को वहां भेजा। जे.ई. ने मौके पर जाकर तुरंत अवैध निर्माण रूकवा दिया। इसके बाद एसडीओ ने जे.ई. को वहाँ तैनात कर दिया। अवैध निर्माण करने वालों को अब चेतावनी दी गई है कि यदि उन्होने विभागीय जांच से पहले निर्माण किया तो उनके खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। हालांकि इस बीच एसडीओ ने यह भी खुलासा किया कि यदि निशानदेही के दौरान सरकारी जमीन कब्जे में पाई गई तो संबंधित लोग और कर्मचारी कानून की जद में नापे जाएंगें। काबिलेगौर है कि यह मामला सबसे पहले पंजाब केसरी ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद डीसी ने सरकारी जमीन पर हुए कब्जे की विभागीय जांच के आदेश दिए थे।
इधर खबर छपने के बाद खरीददार और बेचने वालों में हडकंप मच गया है। इसमें कुछ अधिकारियों की ना केवल मिली भगत बताई जा रही है बल्कि एक कानूनगो की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। क्योंकि इसी कानूनगों ने किसान गोपाल कृष्ण चौधरी को मांगी गई निशानदेही के लिए 2 साल तक लटकाए रखा। उन्हे तब तक लटकाए रखा जब तक सरकारी जमीन पर दूकाने नही बन गई। बता दें कि तरावडी से ललयाणी रोड पर पीडब्लयूडी विभाग की करीब 7 कनाल 16 मरले भूमि है। रवैन्यू रिकॉर्ड में यह जगह पीडब्लयूडी विभाग की है। लेकिन कुछ प्रोपर्टी डीलरों ने मिली भगत कर सरकारी भूमि पर कब्जा करवा लिया। मजे की बात ये है कि जिन्हे कब्जे दिए गए उन्हे रजिस्ट्री करवा दी गई। लेकिन उस रजिस्ट्री में जगह पीछे की दिखाई गए।
इस तरह से सरकारी जमीन पर करीब 3 दर्जन से अधिक प्लाटों पर दूकाने खडी करवा दी गई और उन्हे करोडो में बेच डाला गया। करोडों की यह रकम सरकारी खजाने में जमा ना होकर प्रोपर्टी डीलरों की जेबों में पहुंच गई। प्रोपर्टी डीलरों ने करोडों कमाने के लिए मिली भगत करने वाले अधिकारियों को चांदी के जूते दिखा कर उन्हे कब्जे में लिया हुआ था। लेकिन जब किसान गोपाल कृष्ण चौधरी ने इसकी शिकायत पीडब्लयूडी विभाग में की तो हडकंप मच गया। उन्हे धमकियाँ तक दी गई। लेकिन भ्रष्टाचार के इस मामले को देखते हुए डीसी ने विभागीय जांच के लिए आदेश कर दिए। बहरहाल निशानदेही होने के बाद भ्रष्टाचार के असली खेल का खुलासा होना तय है। जिसमें बडे बडे प्रोपर्टी डीलर व मिली भगत करने वाले अधिकारियों की गर्दन पर शिकंजा कसना तय है।
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