चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिह हुड्डा ने अपने निवास स्थान पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि पराली जलाने को लेकर किसानों को बेवजह बदनाम और तंग किया जा रहा है। सरकार स्पष्ट करे कि क्या सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कोई दीर्घकालीन योजना बनाई है या नहीं ? हमारी मांग है कि धान उत्पादक किसानों को 250 रूपये प्रति क्विंटल तत्काल मुआवजा दिया जाए, इससे ऐसी व्यवस्था सम्भव होगी कि उन्हें पराली जलानी ही नहीं पड़ेगी। पराली के लिए उपकरण सबसीडी का इस साल हरियाणा में 65 करोड़ का प्रावधान था, पर 1718 किसानों को केवल 13.29 करोड़ की सबसीडी ही मिल पाई, जो लगभग 20 प्रतिशत बनती है।
पराली मामले में भारतीय नीति आयोग भी सितम्बर माह में जागा। आयोग ने 3000 करोड़ का प्रस्ताव तो तैयार किया, पर उस पर अमल नहीं हुआ। प्रदेश में पराली जलाने को लेकर 1586 किसानों के खिलाफ कार्रवाई हुई और 244 केस बने। हमारा कहना है कि मामला किसानों पर नहीं विकल्प देने में असफल रही सरकार पर दर्ज होना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का विकास का दावा भी हवा-हवाई है। पहले दिन खबर आती है कि सरकार के प्रयासों से लाखों करोड़ का निवेश पाईपलाईन में है, तो दूसरे दिन सरकार कहती है कि वह नई जमीन का अधिग्रहण नहीं करेगी। क्या सरकार निवेश आसमान में करवायेगी ? एक ओर सरकार बाहरी निवेश की बात करती है, वहीं हरियाणा के ब्राण्ड अम्बेसडर बाबा रामदेव बाहरी कम्पनियों को देश से भगाने की बात करते हैं। विकास परियोजनाओं को लेकर मुख्यमंत्री, हरियाणा व केन्द्रीय मंत्री इन्द्रजीत की कल हुई नोंकझोंक सरकार की विकास मामलों में अकर्मण्यता व असफलता को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि सरकार ये स्पष्ट करे कि हरियाणा स्वर्ण जयंति वर्ष में जो 1700 करोड़ रूपये की धनराशि खर्च करने का प्रस्ताव था वो राशि किन मदों पर खर्च की ? मुख्य सचिव के निर्देशानुसार सरकारी कार्यालयों व हेरिटेज बिल्डिंगज पर दस दिनों तक रोशनी से जगमग रखना था, उसका क्या हुआ ? क्या एक भी कार्यालय या बिल्डिंग को जगमग रखा गया ? क्या स्वर्ण जयंति मनाने की आड़ में आरएसएस से जुड़े पत्र-पत्रिकाओं को विज्ञापन देकर मालामाल तो नहीं किया गया ? हुड्डा ने कहा कि सरकार ने स्मार्ट सीटी बनाने के बढ़चढ़ कर दावे तो कर दिए पर ये सब जुमले निकले। यही हाल ढ़ाचागत विकास का रहा है। कांग्रेस शासन में मंजूर बड़े प्रोजैक्ट पर भी सरकार काम शुरू तक नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने कर्मचारियों को पंजाब के समान वेतन देने व रिटायरमैंट की उम्र 58 से 60 साल करने के मामले में भी असमंजस की स्थिति में है तथा प्रदेश में सरकार व कर्मचारियों में टकराव की स्थिति भी चिंताजनक है।
उन्होंने कहा कि सरकार का कहना है कि दादुपुर-नलवी नहर परियोजना बन्द होने की स्थिति में पाइपों के जरिये सिंचाई की व्यवस्था करेगी। सरकार को मालुम होना चाहिए कि पाईपलाईन भी जमीन से होकर जाएगी, आसमान से नहीं तथा इसके लिए भी किसानों की सहमति जरूरी है। यह कितना विचित्र है कि दादुपुर-नलवी मामले में जमीन अधिग्रहण के मुआवजे के निपटारे के लिए मुआवजा या डिनोटिफाई के लिए किसान मुख्यमंत्री से मिलते हैं तो जवाब मिलता है कि वे कोर्ट जाएं। किसान कोर्ट जाएं, कर्मचारी कोर्ट जाएं व शिकायत लेकर जाने वाले आमजन के लिए भी सरकार कोर्ट जाने की बात कहती है तो जनता ने आखिर सरकार किस लिए चुनी ? फिर तो भाजपा कुर्सी छोड़े और सभी विषय कोर्ट के हवाले कर दे।
(आहूजा)