पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब खेलोगे कूदोगे हो ओगे खराब यह कहावत आज निराधार : दीपेन्द्र - Punjab Kesari
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पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब खेलोगे कूदोगे हो ओगे खराब यह कहावत आज निराधार : दीपेन्द्र

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गन्नौर : रोहतक के सांसद दीपेन्द्र हुडडा ने कहा एक बहुत पुरानी कहावत के मायनों को कांग्रेस शासनकाल में बदल कर उसको उल्टा कर दिखाया। उन्होंने कहा कि पहले एक कहावत थी पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब खेलोगे कूदोगे होओगे खराब यह कहावत हो गई है । कांग्रेस के शासन में उनकी सरकार की बनाई खेल नीति से अनेक खेलने कुदने वाले भी नबाब बने है। हुडडा आज खंड के गांव पुरखास में आयोजित कब्बडी प्रतियोगिता के अवसर पर खिलाडियों व खेल प्रेमियों को संबोधित कर रहें थे। सांसद ने कहा कि व्यक्ति का सम्पूर्ण जीवन तन और मन रूपी गाड़ी से चलता है।

व्यायाम खेल शारीरिक विकास करते हैं तथा शिक्षा चिन्तन-मनन से व्यक्ति का मानसिक विकास होता है। खेल के अनेक रूप हैं। कुछ खेल ब’चों के लिए होते हैंए कुछ बड़ों के लिए कुछ बड़ों के लिए कुछ वृद्धों के लिए होते हैं। कुछ खेलों को खेलने के लिए विशाल मैदानों की आवश्यकता नहीं होती। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है। जो बच्चे केवल पढ़ना ही पसन्द करते हैं खेलना नहीं देखा जाता है कि वे चिड़चिड़े आलसी या डरपोक हो जाते हैंए यहां तक कि अपनी रक्षा करने में असमर्थ रहते हैं।

अनुशासन का जो पाठ मनुष्य को शिक्षा नहीं सिखा पाती वह खेल का मैदान सिखा देता है । उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेजों के खेलों में नाम कमाकर ही राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में पहुंचता है। सांसद ने ग्रामीणों का आह़वान किया कि जिस प्रकार उनके गांव ने देश को अनेक राष्ट्रीय व अंर्तराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी दिए है आगे भी ब’चों को इसी प्रकार बढ़ावा देकर उन्हें उच्च कोटि का खिलाड़ी बनाने में मदद करें। सांसद ने कहा कि उनकी सरकार की खेल नीति को सरकार ने बदलकर खिलाडियों से उस समय दी जाने वाली सुविधाएं छिन ली है।

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