महिला जज की याचिका पर हाईकोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट की रोक - Punjab Kesari
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महिला जज की याचिका पर हाईकोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

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चंडीगढ़ : अपने आप में एक अनूठे मामले में पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायधीश कुलदीप सिंह ने एक महिला जज जितेंद्र वालिया के फैसलों पर दो वर्ष के लिए निगरानी रखने के आदेश जारी कर दिये थे और महिला जज ने हाईकोर्ट के न्यायाधीश के फैसले पर आपत्ति जताई तो सुप्रीम कोर्ट ने उनकी विशेष याचिका स्वीकार करते हुए इस आदेश को निरस्त कर दिया। जिससे जज को एक बडी राहत मिली है। असल में अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायधीश जितेद्र वालिया ने कुछ पुलिसकर्मियों को एक मामले मे दोषी ठहराकर सजा सुना दी थी। ये पुलिस अधिकारी हाईकोर्ट की शरण में गए तो न्यायधीश कुलदीप सिंह ने कठोर आदेश पारित कर दिया। न्यायधीश कुलदीप ने न केवल जितेद्र वालिया के फैसले को पलट दिया बल्कि उस आदेश मे यह भी कह दिया कि जज की कार्यप्रणाली सही नही है।

हाईकोर्ट के आदेश यही पर ही नही रूके बल्कि रजिस्ट्रार विजिलेंस को यह भी कहा गया कि आने वाले दो वर्षाे तक इस महिला जज द्वारा जो भी फैसले सुनाए जाए उन सभी की समीक्षा की जाए और तिमाही रिपोर्ट तैयार कर प्रशासनिक न्यायधीश को भेजी जाए, इस पर महिला न्यायधीश के प्रति न्यायाधीश कुलदीप ने काफी कठोर टिप्पणी की। महिला जज के प्रति आए आदेश से एक बार तो न्यायिक प्रणाली में चर्चा शुरू हो गई परंतु महिला जज ने हाईकोर्ट के न्यायधीश द्वारा उनके प्रति अपने फैसले में की गई टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। महिला जज द्वारा सुप्रीम कोर्ट को कहा गया कि उन्होंने एक फैसला दिया था जिसे निरस्त करने का हाईकोर्ट को पूरा अधिकार है परंतु हाईकोर्ट के न्यायधीश ने उनके आदेश को रद्द करने के साथ साथ एक ऐसी टिप्पणी कर दी जिससे उनके न्यायिक कैरियर पर असर तो पडेगा ही साथ ही यह एक अलग प्रकार की स्थिति को उत्पन्न करेगा।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल व न्यायधीश एफ नरीमन पर आधारित खंडपीठ ने महिला जज की विशेष याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश की उस टिप्पणी को हटाने के आदेश जारी कर दिये जिसमें श्रीमती वालिया के फैसलों की समीक्षा करने की बात कही गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही जितेंद्र वालिया की विशेष याचिका का भी निपटारा कर दिया है। उल्लेखनीय है कि न्यायधीश कुलदीप सिंह के इस फैसले को ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा था क्योंकि किसी जज के हर आदेश की समीक्षा करने संबधी आदेश को अपने आप में पहला मामला अन्यों के लिए उदाहरण माना जा रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने महिला जज को एक बडी राहत प्रदान की है।

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(आहूजा)

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