जींद : ई-पंचायत तथा विकास ग्रांट सहित दूसरी मांगों के लिए डीसी को ज्ञापन देने आएं गांव के सरदार उस समय गर्म हो गए जब काफी देर तक उनसे ज्ञापन नहीं लिया गया। डीसी के ज्ञापन न लेने पर अपने स्वाभिमान पर चोट बताते हुए गांव के सरदार यानि सरपंच लघुसचिवालय से गोहाना रोड़ पर आकर डट गए और बीच सड़क पर धरना देेते हुए आवागमन को बाधित कर दिया। डीसी को ही ज्ञापन देने की हठ पर अड़े सरपंचों ने एसडीएम महाबीर प्रसाद और सीटीएम सत्यवान मान को वापिस लौटा दिया। सरपंचों के रोड़ जाम करने पर दोनों ओर आवागमन बाधित हो गया। वाहनों को दूसरे वैकल्पिक रास्तों से निकाला गया। मामले की गंभीरता को समझते हुए पुलिस का घना पहरा लग गया। सरपंचों का ज्ञापन लेने के लिए मौके पर पहुंचे एसडीएम महाबीर प्रसाद और सीटीएम सत्यवान मान को वापिस लौटा दिया। जिले के सरपंचों ने अपने कड़े तेवरों में कहा कि डीसी द्वारा उनसे ज्ञापन न लेना, सीधे-सीधे उनके स्वाभिमान पर चोट है। वे अपने-अपने गांव का प्रतिनिधित्व करते है और समय आने पर सरकार के कार्यों में पूरे सहयोग की भूमिका भी अदा करते है।
किंतु जिले के बड़े अधिकारी के पास उनका ज्ञापन लेने का ही समय नहीं है। इसलिए उनको मजबूरीवश सड़क को जाम करना पड़ा। अगर डीसी अपनी हठ पर अड़े रहे और उनसे यहां ज्ञापन लेने नहीं पहुंचे तो शुक्रवार को जींद के चहुंओर सड़कों पर जाम लग जाएगा। हरेक गांव का सरपंच ग्रामीणों के साथ मोर्चाबंदी करने का काम करेगा। सरपंच एसोसिएशन जींद के जिला प्रधान सुरेंद्र सिंह राणाा ने कहा कि वे पूरी शांतिपूर्ण तरीके से लघुसचिवालय में डीसी अमित खत्री को ज्ञापन देने के लिए आएं थे। किंतु गांव के सरपंचों की प्रशासन ने कतई भी इज्जत नहीं रखी। इसलिए डीसी तो दूर लघुसचिवालय के नीचे एसडीएम भी ज्ञापन नहीं लेने पहुंचे। इसलिए उन्होंने सड़क को जाम करके ही अपनी बात शासन-प्रशासन तक पहुंचाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों सरपंचों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश स्तरीय बैठक करके सरकार को चेताया था, किंतु सरकार ने उनकी एक भी मांग को पूरा करने का आश्वासन नहीं दिया है। सरपंचों ने कहा कि सरकार अनाप शनाप नीतियां बनाकर गांव के हितों से खिलवाड़ कर रही है। सरकार की गलत नीतियों के कारण गांवों में विकास कार्य रूके हुए हैं। सरपंचों को सरकार की तरफ से काई भी सुविधा नहीं मिल पा रही है। सरकार एक तरफ गांव का विकास करना चाहती है, लेकिन सरपंचों को सभी सुविधाएं मुहैया नहीं करा रही। जिससे सरपंचों में सरकार के खिलाफ भारी रोष है।
उन्होंने मांग की कि ई-पंचायत पूर्ण रूप से गांव के विकास में बाधक है। इसे तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए। पंचायती राज को पूर्व शक्तियों के साथ लागू किया जाए। ग्राम सचिवों का वाहन भत्ता कम है। जिससे कम से कम पांच हजार रुपए किया जाए। सरपंचों और पंचों का मानेदय तुरंत प्रभाव से बढ़ाया जाए और टीए और डीए सरकारी कोष से दिया जाए। ग्राम सचिव के लिए शैक्षणिक योग्यता कम से कम स्नातक की जाए और इनका वेतनमान पटवारी के बराबर किया जाए। सरपंच व ग्राम सचिव का इंश्योरेंस कम से कम एक करोड़ रुपये का किया जाए। सरपंचों को सांसद व विधायक की तरह पेंशन की सुविधा की जाए।
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– संजय शर्मा