प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील की व्यवस्था नहीं है दुरस्त - Punjab Kesari
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प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील की व्यवस्था नहीं है दुरस्त

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रोहतक : महिला आयोग को प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील निरीक्षण के दौरान काफी खामियां मिली है और इस संबंध में आयोग ने सरकार को भी रिपोर्ट भेजी है। साथ ही आयोग ने यह भी पाया कि पढ़ी लिखी पंचायते होने के बावजूद भी महिला सरपंच अपने अधिकारो का प्रयोग नहीं करती और उनके पति व परिवार के अन्य सदस्य ही महिला सरपंच के अधिकारो का प्रयोग करते है। इस बारे में आयोग ने जागरूक अभियान चलाने की बात कही है। इसके अलावा आयोग की हुई पांचवी बैठक में कई प्रस्तावों को मंजूरी दी, जिनमें मुख्य रूप से प्रदेश में लिंगानुपात सुधार के लिए भी आयोग ने आगे आने का निर्णय लिया है। आयोग का कहना है कि बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान से लिंगानुपात में बहुत बड़ा सुधार आया है, लेकिन अभी भी सुधार की काफी जरूरत है।

महिलाओं एवं लड़कियों के सशक्तिकरण के महत्व को मान्यता देते हुए अब यह आवश्यकता है कि सर्वागीण पद्धति अपनाई जाए, ताकि एक लम्बे समय माइंड सैट में परिवर्तन के माध्यम से लिंग असमानता में कमी लाई जा सके। सोमवार को रोहतक पहुंची महिला आयोग की चेयरमैन प्रतिभा सुमन ने बताया कि आयोग की हुई पांचवी बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदू रखे गए थे, जिन्हें पारित किया गया है। उन्होंने बताया कि भौडसी जेल में सैनेटरी नैपकिन उत्पादन यूनिट से अन्य जेलो में नैपकिन की खपत होती है। आयोग ने प्रस्ताव रखा कि प्रदेश की अन्य जेलों में नैपकिन उत्पादन्न यूनिटे लगाई जाए, ताकि सस्ते दामों पर विभिन्न सरकारी संस्थानों, कॉलेज आदि में इसकी खपत हो सके और मार्केट से महंगे सैनेटरी नैपकिन महिलाओं को न खरीदने पडे।

उन्होंने यह भी बताया कि जेलों में निरीक्षण के दौरान यह बात सामने आई कि महिला कैदियों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति कमजोर हो जाती है, जिसको देखते हुए आयोग ने प्रस्ताव प्रारित किया है कि महिलाओं को स्वयं रोजगार बनाने के लिए उन्हें प्रेरित किया जाए ताकि जेल से रिहा होने के बाद समाज की मुख्य धारा से जुड़कर अपना रोजगार स्थापित कर सके। आयोग की टीम ने प्रदेश में ग्राम पंचायतो व ग्राम सभाओं के साथ हुई बैठक का निष्कर्ष निकाला और कहा कि आज भी महिला सरपंचो को अपनी जिम्मेदारियों व शक्तियों के बारे में काफी कम ज्ञान है। अभी भी महिला सरपंचों को समक्षता निर्माण के लिए इनपुट की आवश्यकता है।

इसके लिए ग्रामीण स्तर पर जागरूक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। प्रतिभा सुमन ने कहा कि यह भी बात सामने आई कि स्कूलों में निरीक्षण के दौरान मिड-डे-मील भोजन में भी काफी खामिया है और इस बारे में भी सरकार को लिखा जाएगा। आयोग की बैठक में लिंगानुपात का मुद्दा भी सामने आया। बेटी बचाओ बेटी पढाओ 2015 से शुरू हुए इस अभियान से लिंगानुपात में सुधार आया है, लेकिन अभी भी इसमें सुधार की काफी आवश्यकता है। राष्ट्रीय औसत 919 के मुकाबले 834 लिंगानुपात है, जो बेहद कम है।

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 – मनमोहन कथूरिया

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