अकर्मण्यता छोड़ कर्म को साथी बनाएं युवा : धनखड़ - Punjab Kesari
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अकर्मण्यता छोड़ कर्म को साथी बनाएं युवा : धनखड़

धनखड़ ने कहा कि इन दो महानुभावों ने अपने कार्य से समाज के विकास में अतुलनीय योगदान दिया

कुरुक्षेत्र  : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आरके सदन में शुक्रवार को हरियाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा ने देशभर में 86हजार से अधिक एकल विद्यालय स्थापित करने व 35लाख युवाओं को शिक्षित करने के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने वर्ष 2014-15 का गोयल शान्ति पुरस्कार एकल फांउडेशन के संस्थापक श्याम गुप्त को देकर सम्मानित किया। साथ ही इको बाबा के नाम से विश्व विख्यात संत बलबीर सिंह सीचेवाल को पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में योगदान के लिए गोयल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इस पुरस्कार के रूप में दो लाख रूपये की राशि व प्रशस्ति पत्र दिए जाते हैं। कार्यक्रम में बोलते हुए कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन को याद करते हुए सभी का अभिनंदन किया व गोयल पुरस्कार प्राप्त करने वाले श्याम गुप्त व संत बलबीर सिंह सीचेवाल को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि इन दो महानुभावों ने अपने कार्य से समाज के विकास में अतुलनीय योगदान दिया है इसलिए ही उन्हें आज इस सम्मान से सम्मानित किया गया है।

उन्होंने कहा कि जीवन में कामयाबी के लिए बड़ी सोच व बड़े लक्ष्य होना जरूरी है जो व्यक्ति जैसा सोचता है जितना बड़ा सोचता है उन्हें वैसा ही मुकाम हासिल होता है। देश की युवा शक्ति को यह तय करने की जरूरत है कि वे जीवन में क्या करना चाहते हैं। कामयाबी के लिए मेहनत से बड़ा कोई विकल्प नहीं है। कर्मण्यता व अकर्मण्यता ही व्यक्ति को आगे व पीछे ले जाती है। अपने विकास में व्यक्ति खुद ही खेवट बनता है और खुद ही अवरोध पैदा करता है।

इसलिए यह तय करने की जरूरत है कि हम अपने जीवन को किस तरह से दिशा देने वाले हैं। डीजीपी डॉ. आईसी मिश्रा ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने आप को इंसान कहलाने हेतु सामाजिक होना आवश्यक हैै। हमें अपने जीवन के मूल्य समझने की आवश्यकता है। मूल्यहीन व लक्ष्यहीन जीवन जीने का कोई अर्थ नहीं है। एकल फाउंडेशन के संस्थापक श्याम गुप्त ने कहा आज मेरे सामने दो पीढिय़ा बैठी हैं और इस नई पीढ़ी से मैं कहना चाहूंगा कि देश बनाने के लिए तपस्या करनी पड़ती है। मुझे अक्सर कहा जाता है कि मैं दूसरे लोगों को अपनाकर सामाजिक सेवा करता हूं लेकिन भारत का प्रत्येक व्यक्ति मेरा प्रियजन ही है।

धनखड़ ने कहा कि प्रत्येक युवा को स्वामी विवेकानंद की तरह देश को दिल में लेकर चलना होगा, हमें कदम मिलाकर चलना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए जापान का उदाहरण दिया और कहा धर्म से पहले देश हो। उन्होंने वर्तमान समय और आज की विचारधारा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमारी मातृभूमि ही किसी व्यक्ति को महान बनाती है और जन्मभूमि का ऋण चुकाना जरूरी है। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा व विद्यार्थियों से कहा कि यहां बैठे प्रत्येक व्यक्ति को मिलकर समाज का ऋण चुकाना होगा। इस मौके पर सभी ने गोयल पुरस्कार के संस्थापक रामस्वरूप गोयल को नमन किया।

विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. नीता खन्ना ने सभी का आभार इस मौके पर डीन एकेडमिक अफेयर प्रो. मंजूला चौधरी, प्रो. श्याम कुमार, प्रो. पवन शर्मा, सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरि सिंह, प्रो. एनके माटा, डॉ. अनिता दुआ, डॉ. परमजीत कौर, डॉ. पूनम भारद्वाज, डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. अजय, डॉ. नीरज, राष्ट्रीय एकल अभियान के अध्यक्ष डॉ. मानेन्द्र सिंह, विद्या भारती के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह, गोयल अवार्ड कमेटी के सदस्यों सहित भारी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे।

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