लीज धारकों को प्रापर्टी अपने नाम कराने का मिलेगा अवसर - Punjab Kesari
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लीज धारकों को प्रापर्टी अपने नाम कराने का मिलेगा अवसर

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चंडीगढ़: हरियाणा में अब नगर परिषद व नगर पालिकाओं में दो दशक से पुराने मकान और दुकान के लीजधारकों को प्रापर्टी अपने नाम कराने का अवसर मिलेगा। 500 रुपये से कम किराया भुगतान करने वाले ऐसे लीज, किरायाधारकों को कलेक्टर रेट पर रजिस्ट्री कराना संभव होगा, इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग के एक प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन ने आज बताया कि प्रदेश भर की नगर पालिकाओं में लंबे समय से उन लोगों में असमंजसता की स्थिति बनी हुई थी, जो 20 साल या इससे अधिक समय से नगर परिषद व नगर पालिका में 500 रुपये से कम राशि पर लीज, किराया आधार पर जगह आवंटित करवाए हुए थे। इन लोगों की परेशानी उनके पास अन्य विकल्प नहीं होने और कभी भी इस जगह को छोडऩे की चिंता के साए में जीना पड़ रहा था। ऐसे लोगों के प्रतिनिधिमंडल ने कविता जैन से मुलाकात करते हुए अपनी परेशानी उनके समक्ष रखते हुए मदद की मांग की थी।

मंत्री द्वारा इस संबंध में विभागीय अधिकारियां को मामले की छानबीन कर इस पर उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। विभाग के आला अधिकारियों ने इस संबंध में जमीनी स्तर पर पालिकाओं अधिकारियों से जानकारी मंगवाई तथा इसके आधार पर ही प्रस्ताव तैयार किया गया। मंत्री ने बताया कि विभागीय प्रस्ताव में 20 साल से जगह को मकान अथवा दुकान के तौर पर महज 500 रुपये महीना किराया दे रहे ऐसे लोगों को कलेक्टर रेट पर यह जमीन देने का प्रस्ताव तैयार करके मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष रखा गया। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इसे मंजूरी प्रदान करते हुए प्रदेश भर में हजारों ऐसे लोगों को राहत दिलाई है, जो लगातार लीज एवं किराए वाली जगह के मालिकाना हक को लेकर लगातार आशंकित रहते थे।

उन्होंने कहा कि अब कलेक्टर रेट पर यह लोग जमीन का मालिकाना हक पाने के लिए विभाग को आवेदन करेंगे, जिसके बारे में जल्द ही विभाग लोगों को सूचित करेगा। हालांकि, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस प्रस्ताव को वर्ष 2016 में मई माह में मंजूरी प्रदान कर दी थी, लेकिन तकनीकी अडचनों के कारण प्रस्ताव सिरे नहीं चढ सका था और अब सभी बाधाओं को दूर कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि निगमों में एक मत निर्णय को लागू करने के लिए नगर निगम एक्ट 1994 की धारा 164 (सी) में संशोधन करना होगा। इसके लिए जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव रखकर मंजूरी ली जाएगी।

(राजेश जैन)

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