सड़ रहे अनाज मामले में नपेंगे बड़े अधिकारी, कर्मचारी - Punjab Kesari
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सड़ रहे अनाज मामले में नपेंगे बड़े अधिकारी, कर्मचारी

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करनाल: जले के कस्बा जुंडला में मौजूद खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के दो गोदामों में करीब चार हजार क्विंटल गेहूं सडऩे के मामले मेें जिले के डीसी डा. आदित्य दहिया ने जांच कमेटी का गठन कर दिया है। मार्केट कमेटी के अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है जो जल्द ही डीसी को रिपोर्ट सौंपेगी। डीसी ने इसके आदेश दे दिए हैं। बता दें कि जुंडला में डीएफएससी विभाग के दो गोदाम मौजूद हैं, जिनमें चार हजार क्विंटल से अधिक गेहूं कई सालों से वहां पड़ा है। यह गेहूं लगभग सड़ चुका है और उससे बदबू आ रही है। यही नहीं गेहूं में घास तक उग आई है। बताया जा रहा है कि 2010-11 में इन गोदामों में 50-50 किलो के 8200 बैग गेहूं के रखे गए थे। उस समय डीएफएससी के पद पर रविंद्र मलिक तैनात थे जो अब रिटायर हो चुके हैं।

बाद में नए अधिकारी निशांत राठी आ गए, जिन्होंने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। यह गेहूं इंसपेक्टर सुशील कंसल की देखरेख में रखा गया था और इसकी जिम्मेदारी इंसपेक्टर दीवेंद्र सिंह के पास आ गई थी। इसकी लिफ्टिंग नहीं करवाई गई। 8200 कट्टों की कीमत करीब 70 लाख बनती है। सात वर्षों से गेहूं यही पड़ा हुआ है और एक महीने में करीब तीन हजार रुपए इस पर खर्च आ जाता है। यही नहीं चौकीदारों का खर्च अलग से है। अब तक विभाग 40 लाख से उपर देखरेख पर ही खर्च कर चुका है। सबसे बड़ी बात यह है कि इंद्री के विधायक कर्णदेव कांबोज प्रदेश सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के मंत्री हैं। जुंडला इंद्री के नजदीक पड़ता है।

सीधा-सीधा मामला यह है कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के मंत्री के ही गढ़ में यह गेहूं सड़ गया। दूसरी विडंबना यह है कि जुंडला करनाल से 15 किलोमीटर दूर है। करनाल के विधायक मनोहर लाल प्रदेश के इस समय मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री के जिले में ही 8200 बैग गेहूं के सड़ गए, जिसमें 70 लाख का नुकसान अलग से हुआ और 40 लाख से उपर देखरेख पर ही खर्च कर दिए गए।

बड़ा नुकसान यह हुआ कि गेहूं भी हाथ से निकल गया। वह गरीबों के पेट में नहीं पहुंच पाया अब तो वो जानवरों के खाने लायक भी नहीं रहा। यह कैसी सरकार है और किस तरह अनाज की देखरेख कर रही है इसका जीता जागता प्रमाण आपके सामने है। यह बड़ा गंभीर मामला है सरकार से भारी भरकम हर महीने तनख्वाह लेने वाले बड़े अधिकारी और कर्मचारी इसके लिए बाकायदा जिम्मेदार हैं। अब उन पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी यह भविष्य के गर्भ में छिपा है, लेकिन यह बात अब साफ हो गई है कि सीएम के गृह क्षेत्र में किस तरह से अधिकारी लापरवाह होकर जनता का नुकसान कर रहे हैं। यह बात सिद्ध हो गई है।

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– हरीश चावला

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