जाटों और पिछड़ों की नाराजगी पड़ी महंगी - Punjab Kesari
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जाटों और पिछड़ों की नाराजगी पड़ी महंगी

विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पुरानी कैबिनेट का हिस्सा रहे मंत्रियों ने

चंडीगढ़ : विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पुरानी कैबिनेट का हिस्सा रहे मंत्रियों ने आज सीएम के सामने अपनी-अपनी हार के कारण गिनाए। चुनाव के बाद पहली बार आयोजित इस बैठक में हारे हुए सभी मंत्रियों के अलावा उन्हें भी बुलाया गया था जिन्हें चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिली थी। इस बैठक के साथ ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मिशन फेल होने पर मंथन शुरू कर दिया है। 
बैठक में पूर्व स्पीकर कंवरपाल गुर्जर, पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव, प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला व संगठन महामंत्री सुरेश भट्ट, विपुल गोयल तथा राव नरबीर भी बैठक में मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार आज हुई बैठक में विपुल गोयल और राव नरबीर कुछ नहीं बोले उन्होंने केवल हारने वाले मंत्रियों का दुख ही सुना। हरियाणा में सबसे बड़ी हार का सामना करने वाले प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला भी चुपचाप ही हार के कारणों को सुनते रहे। 
सीएम आवास पर हुई बैठक में फरवरी-2016 के जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा का मुद्दा भी उठा। बादली से चुनाव हारे पूर्व कृषि मंत्रे दो-टूक कहा, जाट आंदोलन के बाद हम जाटों का विश्वास नहीं जीत सके। इस वजह से प्रदेशभर के जाट हमारे खिलाफ हो गये। हार के बाद सुर्खियों में रहे पूर्व मंत्री कर्णदेव काम्बोज ने कहा, जाटों का क्या हम तो पिछड़ों का भी विश्वास नहीं जीत सके। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने काम्बोज पर सवाल छोड़ते हुए कहा, आपने अपना हलका क्यों बदला। दरअसल, काम्बोज 2014 में करनाल के इंद्री हलका से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। 
इस बार उन्हें रादौर से चुनाव लड़वाया गया।  विज के सवाल पर काम्बोज ने कहा, हलका मेरी पसंद पर नहीं बदला गया। मुझे तो मुख्यमंत्री ने कहा था कि आपको रादौर से टिकट दे रहे हैं। सीएम ने कांबोज को बीच में रोकते हुए कहा कि हमने तो आपकी राय जानी थी। काम्बोज ने पलटवार करते हुए कहा कि उनकी मर्जी से नहीं बल्कि रादौर हलका उनपर थोपा गया था। पूर्व राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा, नई दिल्ली में संत रविदास मंदिर को तोड़े जाने की घटना का अनुसूचित जाति के लोगों में प्रभाव था।

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