जेल रेडियो पर प्रसारित हुआ महामारी पर बना गीत, 10 साल की सजा काट रहे कैदी के हुनर को मिली पहचान - Punjab Kesari
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जेल रेडियो पर प्रसारित हुआ महामारी पर बना गीत, 10 साल की सजा काट रहे कैदी के हुनर को मिली पहचान

गाने बनाने और गाना गाने का शौक रखने वाले शेरू को कभी अपने हुनर को प्रदर्शित करने का

हरियाणा की एक जेल में 10 साल कैद की सज़ा काट रहे निरक्षर (Illiterate) कैदी ने कोरोना महामारी पर गीत बनाया तो जेल रेडियो पर उसको प्रसारित भी किया। गाने बनाने और गाना गाने का शौक रखने वाले शेरू को कभी अपने हुनर को प्रदर्शित करने का मौका नहीं मिला, लेकिन अंबाला जेल में जेल रेडियो पहल की बदौलत उसके इस हुनर को एक पहचान मिली है। 
शेरू ने कोरोना वायरस के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए पंजाबी में एक गाना बनाया है, जिसका प्रसारण जेल रेडियो किया गया है। एक फाउंडेशन ने सरकार के साथ मिलकर हरियाणा की सात जेलों में जेल रेडियो की शुरुआत की है और ऑडिशन के बाद 47 कैदियों को रेडियो ज़ॉकी का प्रशिक्षण दिया गया है।
फाउंडेशन की संस्थापक और हरियाणा की जेलों में रेडियो लाने की पहल करने वाली डॉ. वर्तिका नन्दा ने न्यूज़ एजेंसी ‘भाषा’ से कहा,“ शेरू को लिखना नहीं आता है, लेकिन उसे गाना बनाने और गाने का शौक रहा है। हमने उसे एक विषय दिया, जिस पर उसने पंजाबी में यह गाना बनाया, इसे गाया और इसका संगीत भी दिया।” उन्होंने कहा कि जेल के रेडियो ने उसे एक नई पहचान दी है और अब वह गीतकार और गायक बन गया है।
फाउंडेशन के बयान के मुताबिक, “अंबाला केंद्रीय जेल और तिनका तिनका फाउंडेशन ने एक छोटे से वीडियो में शेरू की इस प्रतिभा को पेश किया है। शेरू ने यह गाना कोरोना के मुद्दे पर जागरुकता लाने के लिए लिखा है। यह गाना पंजाबी में है और इसके शुरुआती शब्द हैं- कोरोना तों बच बंदया, पता नहीं कदों किनूं लग जाना। मुंह ते मास्क लगा ले तू, नहीं ते तूं दुनिया तो जाना।” चालीस वर्षीय शेरू के इस गाने को रिलीज़ करते हुए जेल के अधीक्षक लखबीर सिंह ने कहा, “शेरू के गानों के सामने आने से बाकी बंदियों का मनोबल भी बढ़ेगा।”

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