अम्बाला: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा मिशन 2019 का लक्ष्य भेदने के मकसद से 15 जनवरी से रथयात्रा की शुरूआत करेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वे रथ पर सवार होकर प्रदेश के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों के ग्रामीण और शहरी आंचल में जनसम्पर्क अभियान चलाएंगे। राजनैतिक विश्लेषक भूपिन्द्र सिंह हुड्डा की इस रथयात्रा को पार्टी हाई कमान की ओर से आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की बागडौर संभालने का संकेत मानकर चल रहे हैं। भूपिन्द्र सिंह हुड्डा ने 1998 में भी प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालते हुए पंचकुला से जींद और जींद से दिल्ली की रथयात्रा निकाली थी तब भी कांग्रेस विपक्ष में थी।
हुड्डा की रथयात्रा के बाद से ही प्रदेश में कांग्रेस की पक्ष में हवा बनी थी जिसके परिणाम स्वरूप भूपिन्द्र सिंह हुड्डा 2005 से 2014 की अवधि के दौरान लगातार 2 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। राजनैतिक पंडितों का मानना है कि जैसे पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कांग्रेस की बागडौर संभालकर पार्टी को पंजाब के विधानसभा चुनाव में प्रचण्ड बहुमत दिलाने के बाद गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में रिकॉर्ड 2 लाख मतों से जीत दिलवाई थी। उसी तर्ज पर पार्टी हाई कमान हरियाणा में भी तमाम गुटबाजियों को दरकिनार कर किसी ऐसे सर्वमान्य नेता की तलाश में है जोकि कांग्रेस को चुनावी वैतरणी पार करवा सकें।
पिछले 3 सालों के दौरान यूं तो प्रदेश के अन्य कांग्रेसी नेताओं ने भी अपने अपने तौर पर धरने प्रदर्शन और रैलियां की हंै लेकिन राजनैतिक विश्लेषकों की माने तो भूपिन्द्र सिंह हुड्डा के धरने प्रदर्शन और रैलियां हाजिरी की दृष्टि से काफी कामयाब रही है। वैसे भी हरियाणा में माना जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रचण्ड लहर के बावजूद भूपिन्द्र सिंह हुड्डा और उनके समर्थक 15 विधायक चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। यहां तक की उनके सुपुत्र दीपेन्द्र सिंह हुड्डा का रोहतक लोकसभा सीट से जीतना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी काफी अखरा था और उन्होंने लोकसभा में इस जीत पर यह कह कर चुटकी भी ली थी कि गुजरात से हरियाणा तक कांग्रेस की सारी झंडियां उन्होंने गिरा दी केवल रोहतक की झंडी ही शेष बची है। प्रदेश में भाजपा की प्रचण्ड बहुमत वाली सरकार बनने के बाद से ही अनेक भाजपा नेताओं के निशाने पर रहे भूपिन्द्र सिंह हुडडा और उनके सुपुत्र सारी चुनौतियों का सामना करते हुए प्रदेश में 36 बिरादरियों से सम्पर्क साधने के मकसद से पंचायतें और सम्मेलन करते रहे हैं।
इसी के साथ साथ पार्टी हाई कमान के निर्देश पर बाप-बेटे ने अन्य राज्यों के चुनावों में भी बढ़चढ़ कर भूमिका निभाई हैं। प्रधानमंत्री के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बने गुजरात चुनाव में भी हुडडा और उनके बेटे की भूमिका जगजाहिर है। वैसे भी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी के चुने जाने के बाद से ही हरियाणा में इन चर्चाओं को बल मिला है कि अब पार्टी हाई कमान में भूपिन्द्र सिंह हुडडा और उनके बेटे का राजनैतिक कद काफी बढ़ चुका है। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि सांसद दीपेन्द्र सिंह हुडडा को कांग्रेस की राष्ट्रीय कोर कमेटी में अहम जगह मिल सकती है जबकि पार्टी हाई कमान भूपिन्द्र सिंह हुडडा को हरियाणा की जिम्मेवारी सौंप सकता है। इन चर्चाओं को इस बात से भी बल मिलता है कि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभालते ही राहुल गांधी ने सांसद भूपिन्द्र हुडडा को तत्काल गुजरात चुनाव में अहम भूमिका निभाने के लिए रवाना कर दिया।
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(राजेन्द्र भारद्वाज)