हरियाणा के ढिंगरहेड़, नूह के अगस्त 2016 के गैंग रेप व डबल मर्डर मामले में पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ने आज केंद्रीय जांच ब्यूरो को सात मार्च तक हलफनामा दाखिल कर यह बताने का आदेश दिया कि प्रदेश पुलिस की एसआईटी द्वारा गिरफ्तार किए गए लेकिन चालान में निर्दोष बताए गए युवकों के खिलाफ अब तक सीबीआई को क्या सबूत मिले हैं। बचाव पक्ष के वकील प्रदीप रापडिया ने बताया कि सीबीआई ने अपने जवाब में युवकों को जमानत न देने की दलील दी जबकि जबकि पंचकूला सीबीआई की विशेष अदालत में दायर किए चालान में कहा गया है कि सीबीआई ने असली दोषियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनके डीएनए व फिंगर पि्रंट भी घटनास्थल से प्राप्त किए गए नमूनों से मैच हो गए हैं।
रापडिया ने कहा कि सीबीआई ने अपने चालान में कहा है कि हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए युवकों के खिलाफ गैंग रेप व हत्याकांड में शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला है लेकिन जमानत याचिका का विरोध किया है। रापड़या ने अदालत को ये भी बताया कि एफआईआर में चार लोगों के हत्याकांड को अंजाम करना बताया गया था, लेकिन आज इस मुकदमे 8 आरोपी जेल में हैं। हाई कोर्ट के जज सुरिंदर गुप्ता ने सीबीआई के जांच अधिकारी को 7 मार्च से पहले कोर्ट में शपथ पत्र दायर करके ये बताने के आदेश दिए हैं कि चालान में निर्दोष बताए गए आरोपियों के खिलाफ अब तक क्या सबूत मिले हैं।
इसीके साथ अदालत ने निर्दोष बताए गए युवकों की उस याचिका पर भी जवाब दायर करने की हिदायत दी है जिसमें हरियाणा पुलिस के अधिकारियों व एक गैर सरकारी संगठन की भूमिका की जांच की मांग की गई है जिन पर कि युवकों को झूठा फंसाने का आरोप है। मामले की अगली सुनवाई 7 मार्च को निर्धारित की गई है। इस प्रकरण में 24 अगस्त 2016 को चार सशस्त्र आरोपियों ने एक किसान और उनकी पत्नी की हत्या करने के बाद उनकी दो भतीजियों से बलात्कार किया गया था जिनमें एक नाबालिग थी।
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