करनाल में 500 करोड़ की जमीन पर कब्जा ले सकती है सरकार : सुप्रीम कोर्ट - Punjab Kesari
Girl in a jacket

करनाल में 500 करोड़ की जमीन पर कब्जा ले सकती है सरकार : सुप्रीम कोर्ट

शत्रु सम्पति मामले में एक फिर नया मोड़ आ गया है। उच्चतम न्यायालय ने एक सुनवाई के दौरान

करनाल : शत्रु सम्पति मामले में एक फिर नया मोड़ आ गया है। उच्चतम न्यायालय ने एक सुनवाई के दौरान जमशेदअली खान के वारिस होने का दावा खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव तथा न्यायमूर्ति एम.आर.शाह की खंडपीठ ने यह फैसला हाल ही में सुनाया है। अब यदि प्रदेश सरकार चाहे तो शत्रु सम्पति पर खुद कब्जा ले सकती है। इस मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय में चल रही है। आगामी 21 मई को इस मामले की सुनवाई होनी है। उच्च न्यायालय ने चकबंदी अधिकारी, करनाल के डीसी और एसडीएम तथा सहारनपुर के डीसी को भी नोटिस जारी किया हुआ है।

मामला जिले के गांव डबकोली खुर्द की 500 एकड़ जमीन से जुडा है। हालांकि इस मामले की जांच मुख्यमंत्री के उड़नदस्ते से भी की गई थी। लेकिन अभी तक पुलिस द्वारा कोई जवाब दावा पेश नहीं किया गया। यहां बताना जरूरी है कि देवेन्द्र सिंह तत्कालीन चकबंदी अधिकारी नियुक्त किए गए थे। लेकिन वह अपनी पत्नी सुनीता देवी के नाम शत्रु संपति की भूमि ले उड़े। यही नहीं एक पुलिस अधिकारी के निकट संबंधी भी यह जमीन ले उडे थे। कस्टोडियन विभाग इस मामले में अभी तक आंखें मूंदे बैठा है।

उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 500 करोड़ की कृषि भूमि के मामले में अपने आदेश में जारी करते हुए लिखा था कि उक्त याचिका में कोई भी जवाब राज्य सरकार द्वारा जवाब नहीं दिया गया। इस मामले में उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, मौजूदा एस.पी करनाल तथा एस.एच.ओ इन्द्री को नोटिस देकर कोर्ट में तलब किया गया था। इस मामले में न्यायालय ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए ट्रायल कोर्ट और पुलिस एफ.आई.आर की प्रोसीडिंग कार्रवाई पर आगामी अपने आदेशों तक रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के समक्ष रणधीर सिंह तथा 150 अनुसूचित जाति के परिवारों ने शपथ पत्र पेश किए थे।

उनका कहना था कि उन्होंने 20 दिसम्बर, 2005 को जांच अधिकारी थाना इन्द्री के समक्ष शपथ पत्र पेश किए थे। उस समय जांच अधिकारी अंग्रेज सिंह थे। वहीं डी.एस.पी के तौर पर मौजूदा एस.पी सुरेन्द्र सिंह भौरिया पदस्थ थे। शपथकर्ताओं ने कहा था कि 500 करोड़ रुपए के जमीन मामले में पुलिस दोषियों का साथ दे रही है। तत्कालीन जांच अधिकारी कोर्ट के समक्ष झूठ बोल रहे है कि उन्हें कोई शपथ पत्र नहीं दिए। इनका सारा रकबा उत्तर प्रदेश की तरफ चला गया था।

1947 में इस गांव की जमीन का रिकार्ड जो पंजाब राज्य के पास था। वह उत्तर प्रदेश की नुकड तहसील तथा सहारनपुर को भेज दिया गया था। वर्ष-1950 में यूपी सरकार द्वारा जमीदारी एबुलीशन लैंड रिफॉर्मस एक्ट 1950 बनाया गया था। इस एक्ट में राज्य सरकार ने पूरी जमीन अपने हाथ में ले ली और जमीदारी की मलकीयत खत्म कर दी थी। 8 फरवरी, 1962 को गांव वालों को जमीन अलॉट नहीं की गई। उनके पैसे भी गांव वालों ने अदा किए। लेकिन कुछ भू-माफिया फर्जी वसीयत तैयार करवाकर इस जमीन को हड़प रहे है।

– हरीश चावला

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।