हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला का आज निधन हो गया है। वे 89 साल के थे। गुरुग्राम स्थित घर में उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने आधे घंटे बाद दोपहर 12 बजे अंतिम सांस ली।
ओपी चौटाला पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की पांच संतानों में से सबसे बड़े थे। 01 जनवरी, 1935 को जन्मे ओपी 5 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने शुरुआती शिक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी। 2013 में शिक्षक भर्ती घोटाले के दौरान वो तिहाड़ जेल में बंद थे। उस दौरान उन्होंने 82 की उम्र में 10वीं-12वीं की परीक्षा पास की।
Former Haryana CM and INLD chief Om Prakash Chautala passes away at his residence in Gurugram: Rakesh Sihag, INLD Media Coordinator
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— ANI (@ANI) December 20, 2024
कल दोपहर किया जाएगा अंतिम संस्कार
आज शाम उनका पार्थिव शरीर सिरसा स्थित उनके पैतृक गांव चौटाला जाएगा। शनिवार की सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक पार्थिव देह अंतिम दर्शन को रखी जाएगी। दोपहर 3 बजे तेजा खेड़ा फार्म सिरसा के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया जाएगा।
इन नेताओं ने जताया शोक
कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ नेता चौधरी ओम प्रकाश चौटाला जी के निधन से दुखी हूं। उन्होंने हरियाणा और देश की सेवा में अहम योगदान दिया। CM नायब सैनी ने कहा कि उन्होंने प्रदेश और समाज की जीवनपर्यंत सेवा की। देश और हरियाणा की राजनीति के लिए यह अपूरणीय क्षति है। कांग्रेस विधायक रेसलर विनेश फोगाट ने कहा कि ओपी चौटाला ने अपने जीवन को जनता की सेवा और हरियाणा के विकास को समर्पित किया। हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज ने कहा कि दुखदाई खबर है। वो बहुत अच्छे एडमिनिस्ट्रेटर थे।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ नेता चौ. ओम प्रकाश चौटाला जी के निधन का समाचार दुःखद है। उन्होंने हरियाणा और देश की सेवा में उचित योगदान दिया।
दुःख की इस घड़ी में हम उनके परिवार व समर्थकों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं और दिवगंत आत्मा की शांति की प्रार्थना… pic.twitter.com/avuSmWZj2D
— Mallikarjun Kharge (@kharge) December 20, 2024
पहला चुनाव हार गए थे चौटाला
ओमप्रकाश के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1968 में हुई थी। पहला चुनाव देवीलाल की परंपरागत सीट ऐलनाबाद से लड़ा। हालांकि, इस चुनाव में उनको लालचंद खोड़ से शिकस्त मिली थी। चौटाला ने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। एक साल की सुनवाई के बाद कोर्ट ने लालचंद की सदस्यता रद्द की। 1970 के उपचुनाव में चौटाला जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने थे।