सूर्य के समान होना चाहिए शैक्षणिक नेतृत्व - Punjab Kesari
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सूर्य के समान होना चाहिए शैक्षणिक नेतृत्व

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महेन्द्रगढ़: मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पण्डित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन फार टीचर्स एंड टीचिंग योजना के अंतर्गत आज हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि), महेंद्रगढ़ में ‘उच्च शिक्षा में नेतृत्व क्षमता’ विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत केंद्रीय राज्य मंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, डा. सत्यपाल सिंह ने की। इस अवसर पर उन्होंने सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि शैक्षणिक नेतृत्व सूर्य के समान होना चाहिए। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश उपस्थित रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने की।

इस अवसर पर डा. सत्यपाल सिंह ने विश्वविद्यालय में नवनिर्मित शैक्षणिक खंड़-1 एवं स्वामी दयानंद सरस्वती शोध पीठ का उद्घाटन किया। कुलपति, सम-कुलपति, निदेशक, अधिष्ठाता तथा विभागाध्यक्षों के लिए आयोजित इस चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डा. सत्यपाल सिंह ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जरूरी बदलावों पर जोर देते हुए कहा कि भारत की विश्व गुरु के तौर पर पहचान शिक्षकों के माध्यम से ही स्थापित हुई थी और वर्तमान में बेहतर स्थिति के लिए शिक्षकों को ओर अधिक परिश्रम की आवश्यकता हैं। उन्होंने कहा कि आज शिक्षक की पहचान उसकी डिग्री से की जाती है जबकि हमारे इतिहास में ऐसे कई प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं, जिनके पास कोई डिग्री नहीं थी।

डा. राहुल सांकृत्यायन महज आठवीं पास थे लेकिन वह 36 देशी-विदेशी भाषाओं के ज्ञाता थे और 100 से ज्यादा किताबें उन्होंने लिखी थी। डा. सत्यपाल सिंह ने विश्वविद्यालय में स्थापित स्वामी दयानंद सरस्वती चेयर के संबंध में कहा कि विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ का यह प्रयास सराहनीय है। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती भारत के ऐसे राष्ट्र चिंतक थे, जिनके आगे कोई नहीं टिकता है। दयानंद सरस्वती ही वह व्यक्ति हैं जो बिना विदेश जाए, बिना अंग्रेजी पढ़े देश को वैज्ञानिक व तार्किक ज्ञान उपलब्ध करा गए। डा. सत्यपाल सिंह ने शैक्षणिक नेतृत्व के विषय में कहा कि भारतीय संस्कृति इस मोर्चे पर बेहद सम्पन्न है। न्यूटन ने जो गुरूत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया है, वह ऋग्वेद में पहले से ही उल्लिखित है। इसी तरह यदि हमें शैक्षणिक नेतृत्व की क्षमता विकसित करनी है तो हमें सूर्य से प्रेरणा लेनी होगी। सूर्य ऊर्जा का स्त्रोत है। सूर्य गंभीरता चिंतन के लिए प्रेरित करता है। सूर्य आकर्षण के गुण को भी प्रदर्शित करता है। सूर्य नेतृत्व क्षमता के साथ-साथ जलाकर दण्ड देने के गुण को भी प्रदर्शित करता है।

शैक्षणिक नेतृत्व के लिए आवश्यक है कि ज्ञान, शिक्षा व विद्या के अंतर को समझे और इस कार्यक्रम से आशा है कि इसमें सम्मिलित प्रतिभागी पूरे मनोयोग से भागीदारी करेंगे और लाभान्वित होंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. वेद प्रकाश ने कहा कि हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि), महेंद्रगढ़ लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है और मैं प्रो. आर. सी. कुहाड़ के नेतृत्व में इसकी तरक्की से बेहद खुश हूं। उन्होंने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि देश को असली स्वराज तभी मिलेगा जब देश निर्धनता व निरक्षरता से मुक्त होगा इसलिए शिक्षा, विशेषकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गंभीरता के साथ प्रयास करने होंगे।

विश्वविद्यालयों को स्कूली व्यवस्था में दिख रही कमियों को समझते हुए सभी वर्गों व श्रेणियों को एक स्तर पर लाने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। उच्च शिक्षा में नेतृत्व क्षमता के विषय में प्रो. वेद प्रकाश ने कहा कि जब तक नियम, अधिनियम व कार्यालयों की व्यावहारिक प्रक्रिया की जानकारी अधिकारियों व नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को नहीं होगी वह इसकी बेहतरी के लिए कुछ नहीं कर पाऐंगे। अध्यक्षीय भाषण में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. सी. कुहाड़ ने विश्वविद्यालय की प्रगति और इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय से मिल रही मदद के लिए डा. सत्यपाल सिंह का आभार व्यक्त किया।

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– सरोज यादव/महेश गुप्ता/बालरोडिया

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