शिक्षा ही भारत को समृद्ध बनाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक होगी : वेंकैया नायडू - Punjab Kesari
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शिक्षा ही भारत को समृद्ध बनाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक होगी : वेंकैया नायडू

Venkaiah Naidu ने कहा कि हमें अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए अकादमिक उत्कृष्टता हेतु अनुकूल

सोनीपत : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बदलती ज़रूरतों के अनुसार शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने (री-ओरिएन्ट करने) की ज़रूरत पर जोर दिया ताकि छात्र नई चुनौतियों का सामना कर सकें। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों को ‘अपने अध्यापन के तरीकों में बदलाव लाना होगा, पारम्परिक कारोबार उन्मुख दृष्टिकोण को छोड़कर, सख्त अकादमिक मानक स्थापित करने होंगे।’ वे ओ.पी. जिंदल ग्लोबल युनिवर्सिटी के सातवें दीक्षान्त एवं संस्थापक दिवस समारोह के दौरान सभा को संबोधित कर रहे थे। भारत को ज्ञान एवं इनवोवेशन की दृष्टि से विश्वस्तरीय हब बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए श्री नायडू ने कहा कि हमें अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए अकादमिक उत्कृष्टता हेतु अनुकूल एवं उचित प्रणाली का निर्माण करना होगा।

भारत की विशाल जनसंख्या पर बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपनी विशाल मानव पूंजी को राष्ट्रीय सम्पत्ति में बदलने के प्रयास करने चाहिएं, इसके लिए युवाओं को सही शिक्षा, ज्ञान एवं कौशल प्रदान करना ज़रूरी है। भारत समृद्ध मध्यम आयवर्ग वाला देश बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस पहलू पर चर्चा करते हुए श्री नायडू ने कहा, कि आधुनिक एवं सभी सुविधाओं से युक्त विश्वविद्यालय इस बड़े बदलाव में योगदान दे सकते हैं। शिक्षा ही भारत को समृद्ध बनाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक होगी। ग्लोबल रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों की स्थिति पर बात करते हुए उपराष्ट्रपति जी ने कहा कि हमें अपने विश्वविद्यालयों के निराशाजनक परिवेश को बदलना होगा तथा विश्वविद्यालयों में नए मूल्य एवं भविष्य-उन्मुख विचार शामिल करने होंगे, हमें दुनिया भर के अन्य विश्वविद्यालयों से सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के सबक लेने होंगे जो छोटी सी अवधि में तेज़ी से आगे बढ़े हैं।

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हमें देश के सर्वश्रेष्ठ छात्रों को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे अकादमिक क्षेत्र को अपने फुल टाईम करियर के रूप में चुनें। ऐसे प्रतिभाशाली छात्रों को युनिवर्सिटी के फैकल्टी सदस्यों के रूप में अपने साथ जोड़कर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ओ.पी. जिंदल ग्लोबल युनिवर्सिटी में फु ल-टाईम विदेशी फैकल्टी सदस्यों की संख्या बहुत अधिक है, जिन्हें दुनिया भर के शीर्ष पायदान के विश्वविद्यालयों से भर्ती किया गया है। इस तथ्य पर बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हमें इस तरह के इनोवेशन्स जारी रखने चाहिए।

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